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Teachers Day : रामनाथ कोविंद बोले- कोरोना की विपरीत परिस्थितियों में शिक्षकों ने शिक्षा का क्रम अनवरत जारी रखा

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। देश के पूर्व राष्ट्रपति और शिक्षाविद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Former President and Educationist Dr. Sarvepalli Radhakrishnan) की जयंती (Anniversary) पर रविवार को उन्हें नमन करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind)  ने सभी शिक्षकों को ‘शिक्षक दिवस’  (Teachers Day) की बधाई दी है। उन्होंने देश के शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना महामारी (corona pandemic) की परिस्थिति में जब सभी कॉलेज और स्कूल बंद थे। तब भी शिक्षकों ने विषम स्थितियों का सामना करते हुए बच्चों की शिक्षा का क्रम रुकने नहीं दिया। एक अच्छा शिक्षक व्यक्तित्व-निर्माता है, समाज-निर्माता है, और राष्ट्र-निर्माता भी है।

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डॉक्टर राधाकृष्णन एक दार्शनिक और विद्वान के रूप में विश्व-विख्यात थे। यद्यपि उन्होंने अनेक उच्च पदों को सुशोभित किया, परंतु वे चाहते थे कि उन्हें एक शिक्षक के रूप में ही याद किया जाए। डॉक्टर राधाकृष्णन ने एक श्रेष्ठ शिक्षक के रूप में अपनी अमिट छाप छोड़ी है।

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind)  ने कहा कि आज तक मुझे अपने आदरणीय शिक्षकों की याद आती रहती है। मैं स्वयं को सौभाग्यशाली महसूस करता हूं कि राष्ट्रपति का कार्यभार ग्रहण करने के बाद, मुझे अपने स्कूल में जाकर, अपने वयोवृद्ध शिक्षकों का सम्मान करने तथा उनका आशीर्वाद लेने का अवसर प्राप्त हुआ था।

मेरे पूर्ववर्ती राष्ट्रपति डॉक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (Former President Dr. A.P.J. Abdul Kalam) एक वैज्ञानिक के रूप में अपनी सफलता का श्रेय अपने शिक्षकों को दिया करते थे। वे अपने स्कूल के एक अध्यापक के विषय में बताया करते थे जिनके पढ़ाने की रोचक शैली के कारण बचपन में ही उनमें एयरोनॉटिकल इंजीनियर (Aeronautical Engineer) बनने की ललक पैदा हुई।

राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षकों का कर्त्तव्य है कि वे अपने विद्यार्थियों में अध्ययन के प्रति रुचि जागृत करें। संवेदनशील शिक्षक अपने व्यवहार, आचरण व शिक्षण से विद्यार्थियों का भविष्य संवार सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा-व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जिससे विद्यार्थियों में संवैधानिक मूल्यों तथा नागरिकों के मूल कर्तव्यों के प्रति निष्ठा उत्पन्न हो, देश के प्रति प्रेम की भावना मजबूत बने तथा बदलते वैश्विक परिदृश्य (Global Scenario) में वे अपनी भूमिका के बारे में सचेत रहें।

शिक्षकों को ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक विद्यार्थी की क्षमता अलग होती है, उनकी प्रतिभा अलग होती है, मनोविज्ञान अलग होता है, सामाजिक पृष्ठभूमि व परिवेश भी अलग-अलग होता है। इसलिए हर एक बच्चे की विशेष जरूरतों, रुचियों और क्षमताओं के अनुसार उसके सर्वांगीण विकास पर बल देना चाहिए। भारतीय परंपरा के संवाहक गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर (Gurudev Rabindra Nath Tagore) की शिक्षा संबंधी सोच अत्यंत आधुनिक थी। हमें अपनी परंपरा में निहित आधुनिकता को अपनाना है।

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