Pronatalism policy in Russia: मौजूदा समय में भारत सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है, जहां पर तेजी से बढ़ती जनसंख्या एक बड़ी समस्या बनकर उभर रही है। जिसे नियंत्रित करने के लिए कई तरह परिवार नियोजन कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। जबकि, भारत की इस समस्या के विपरीत रूस जैसा ताकतवर देश गिरती जन्म दर को लेकर चिंतित है। वहीं, रूसी सरकार जन्म दर बढ़ाने के लिए अजीबोगरीब योजनाएं शुरू कर रही है।
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दरअसल, रूस की सरकार ने जन्म दर बढ़ाने के एक नई योजना शुरू की है। जिसके तहत स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों को किराये पर बच्चा पैदा करने और उनका लालन-पोषण करने की अनुमति दी गई है। साथ ही इसको बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्कूली लड़कियों को गर्भवती होने और बच्चे को जन्म देकर पालन-पोषण करने के लिए 1,00,000 रूबल (यानि लगभग ₹90,000) से अधिक की राशि दी जा रही है। हालांकि, यह योजना अभी रूस के कुछ हिस्सों में ही शुरू लागू की गई है। आगे इसके विस्तार की संभावना है।
पिछले कुछ महीनों में दस क्षेत्रों में शुरू की गई यह पहल रूस की नयी जनसांख्यिकीय रणनीति का हिस्सा है, जो मार्च 2025 में अपनाई गई ‘प्रोनेटालिज्म’ नीति को व्यापक बनाती है। यह नीति बच्चों को जन्म देने को प्रोत्साहित करती है। यह योजना केवल वयस्क लड़कियों पर लागू होती है। इन नीतियों में वित्तीय प्रोत्साहन, जैसे कि स्वस्थ बच्चे के जन्म पर नकद भुगतान और मातृत्व लाभ शामिल हैं।
रूस में किशोर लड़कियों को स्कूल में पढ़ते हुए बच्चे पैदा करने के लिए पैसे देना या प्रोत्साहित करना एक विवादास्पद मुद्दा है। रूसी जनमत अनुसंधान केंद्र के एक ताजा सर्वे के अनुसार, 43 फीसदी रूसी इस नीति का समर्थन करते हैं, जबकि 40 प्रतिशत इसके विरोध में हैं। लेकिन, यह नीति इस बात का संकेत है कि देश बच्चों की संख्या बढ़ाने को उच्च प्राथमिकता दे रहा है।
वर्ष 2023 में रूस में प्रति महिला जन्म देने वाले बच्चों की संख्या 1.41 थी, जो जो कि जनसंख्या को उसके वर्तमान आकार में बनाए रखने के लिए आवश्यक स्तर 2.05 से काफी कम है।