लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने 1994 बैच के तीन IAS अफसरों को अपर मुख्य सचिव पद पर पदोन्नत किया है। इसमें अमित कुमार घोष, पार्थसारथी सेना शर्मा और लीना जोहरी को पदोन्नित मिली है। बीते दिनों इसमें पार्थसारथी सेना शर्मा और अमित कुमार घोष को शासन ने नई जिम्मेदारियां दी थीं। इन अफसरों के अपर मुख्य सचिव बनने के बाद इनमें शामिल एक आईएएस अफसर के कामों की खूब चर्चा होने लगी है।
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दरअसल, अपर मुख्य सचिव बने इसमें शामिल एक IAS अफसर को बीते दिनों दूसरे अहम विभाग की जिम्मेदारी मिली थी। इससे पहले वो प्रदेश में एक अहम विभाग के प्रमुख सचिव रहे थे और इस दौरान वो अपने विभाग के ताकतवर कैबिनेट मंत्री की भी नहीं सुनते थे। कहा जा रहा है कि, कैबिनेट मंत्री और जनप्रतिनिधियों ने पत्र लिखकर आईएएस अफसर से काम करने की गुजरारिश की थी लेकिन आईएएस अफसर ने हमेशा उनके कामों को दरकिनार किया है।
इसको लेकर कैबिनेट मंत्री ने IAS अफसर के खिलाफ ACR भी लिखा था। लेकिन कैबिनेट मंत्री के लिखे इस ACR को दरकिनार करते हुए शासन ने उनको फिर अहम विभाग की जिम्मेदारी सौंप दी। कहा ये भी जा रहा है कि, कैबिनेट मंत्री के लिखे गए ACR को बदल दिया गया, जिसके कारण आईएएस अफसर को बड़ी जिम्मेदारी देते हुए उन्हें अब अपर मुख्य सचिव बना दिया गया है।
शासन के गलियारों में चर्चा ये भी है कि, IAS अफसर को खास संदेश मिला था कि वो अपने हिसाब से काम करें और किसी मंत्री और जनप्रतिनिध के दबाव में न आएं। इसके कारण उन्हें अब अपर मुख्य सचिव बनाकर इनाम दिया गया है। वहीं, कैबिनेट मंत्री पिछले तीन सालों से इन आईएएस अफसर की कार्यशैली से परेशान थे और कई बार शिकायत भी की लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। सूत्रों ने ये भी बताया कि, मंत्री एक खास वर्ग से हैं, जिसके कारण उनके काम पर रोक लगाने के लिए ऊपर से आईएएस अफसर को निर्देश दिया गया था। ऐसे में सवाल उठता है कि, जब आईएएस अफसर विभाग के कैबिनेट मंत्री और जनप्रतिनिधियों का ही काम नहीं करेंगे तो किसका करेंगे?