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कल है शीतला सप्तमी, ऐसे करें मॉं की पूजा

By Shital Kumar 
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हिंदू पंचांग के अनुसार, सप्तमी तिथि 21 मार्च को सुबह 02:45 बजे शुरू होगी और 22 मार्च 2025 को सुबह 04:23 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, शीतला सप्तमी व्रत 21 मार्च 2025, शुक्रवार को मनाया जाएगा। आदिकाल से ही माता शीतला का अत्यधिक माहात्म्य रहा है। आधुनिक युग में भी माता शीतला की उपासना स्वच्छता की प्रेरणा देने के कारण सर्वथा प्रासंगिक है। भगवती शीतला की उपासना से स्वच्छता और पर्यावरण को सुरक्षित रखने की प्रेरणा मिलती है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, माता शीतला को संक्रामक रोगों और बीमारियों से सुरक्षा देने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। खासकर गर्मी के मौसम में माता शीतला की पूजा से शरीर की स्वच्छता और पर्यावरण की रक्षा की जाती है, जो आज भी हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्कंद पुराण में माता शीतला का वाहन गर्दभ है। वे अपने हाथों में कलश, सूप, मार्जन (झाडू) तथा नीम के पत्ते धारण करती हैं। जो चेचक का रोगी की परेशानी को हर देते हैं। सूप से रोगी को हवा की जाती है। झाडू से चेचक के फोड़े फट जाते हैं।

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शीतला सप्तमी पर पूजा विधि

प्रात: काल उठकर व्रत का संकल्प करें और स्नान आदि के बाद पूजा की तैयारी करें.
चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर शीतला माता की मूर्ति या छवि स्थापित करें.
माता शीतला को जल चढ़ाएं. उसके बाद हल्दी पाउडर, चंदन, सिंदूर, या कुमकुम से सजाएं.
माता शीतला को लाल रंग के फूल अर्पित करें.
धूप-दीप जलाएं. श्रीफल और चने की दाल चढ़ाएं.
आरती के साथ पूजा करें.
माता शीतला को प्रणाम करें.

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