लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार लोगों को राहत देने के लिए तमाम दावे करती है लेकिन बिजली विभाग की प्रताड़ना से परेशान होकर एक युवक ने अपनी जान दे दी। मुख्यमंत्री आवास के चंद कदम दूर युवक ने जहरीला पदार्थ खा लिया। आनन—फानन में उसको सिविल अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया, जहां कुछ देर उपचार के बाद उसकी मौत हो गयी। युवक ने पूछताछ में बताया कि, बिजली विभाग से वो काफी परेशान था, जिसके कारण उसने इस तरह का कदम उठाया है।
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बताया जा रहा है कि, बुलंदशहर निवासी अजय कुमार उर्फ धर्मेश कुमार (45) अपनी शिकायत लेकर राजधानी आया था। यहां पर मुख्यमंत्री आवास के कुछ दूर पर लामार्ट चौराहे के पास उसने जहरीला पदार्थ खा लिया। पुलिस को जानकारी हुई कि, एक व्यक्ति ने लामार्ट चौराहे के पास जहर खा लिया है, जिससे उसकी हालत गंभीर हो गयी है। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और युवक को उपचार के लिए सिविल अस्पताल में भर्ती कराया।
पूदताछ में अजय कुमार ने जहरीला पदार्थ खाने की बात को स्वीकार किया। उसने बताया कि, वर्ष 2014 में उसने एक आटा चक्की लगाई थी। सात मई 2014 को अधिक लोड़ होने के कारण वहां का ट्रांसफर्मर जल गया था। इसके बाद दूसरा ट्रांसफार्मर लगा, जो एक घंटे बाद जल गया। इसके बाद से ही बिजली विभाग की ओर से 70 प्रशित राशि जमा करने के लिए अजय कुमार पर दबाव डाला गया। उधर, अजय की आटा चक्की इसके कारण बंद हो गयी और वो परेशान रहने लगा। इसको लेकर वो बिजली विभाग के लगातार चक्कर लगाते रहा लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। उसने बताया कि, इससे परेशान होकर उसने जहर खा लिया। वहीं, उपचार के कुछ देर बाद अजय कुमार की सिविल अस्पताल में मौत हो गयी।
लखनऊ में सीएम आवास से कुछ ही दूरी पर अजय नामक व्यक्ति ने ज़हर खाकर जान देने की कोशिश की।
उसकी फ़रियाद थी कि 2014 में लगाई अपनी आटा चक्की का काम बार-बार ट्रांसफॉर्मर फुंकने के कारण ठप है। कई शिकायतों के बावजूद बिजली विभाग ने समस्या नहीं सुलझाई।
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अजय का आरोप है कि विभाग के… pic.twitter.com/uMhLJOvdIC
— UP Congress (@INCUttarPradesh) September 12, 2025
वहीं, इस घटना पर यूपी कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। यूपी कांग्रेस के अधिकारिक सोशल मीडिया अकांउट एक्स पर लिखा गया कि, लखनऊ में सीएम आवास से कुछ ही दूरी पर अजय नामक व्यक्ति ने ज़हर खाकर जान देने की कोशिश की। उसकी फ़रियाद थी कि 2014 में लगाई अपनी आटा चक्की का काम बार-बार ट्रांसफॉर्मर फुंकने के कारण ठप है। कई शिकायतों के बावजूद बिजली विभाग ने समस्या नहीं सुलझाई। अजय का आरोप है कि विभाग के अधिकारियों ने नया ट्रांसफॉर्मर लगाने के लिए उससे 70% खर्च की मांग की। महीनों तक पावर हाउस के चक्कर लगाने के बाद भी उसे राहत नहीं मिली। आख़िरकार वह मुख्यमंत्री के जनता दरबार में सीधे शिकायत लेकर पहुंचा और वहीं उसने ज़हर खा लिया।
इसके साथ ही लिखा कि, यह घटना भाजपा के तंत्र की भ्रष्ट कार्यप्रणाली का आईना है। सोचिए, जब आम नागरिक को अपनी ही मेहनत से लगाए धंधे को बचाने के लिए ऐसा कदम उठाना पड़े, तो यह व्यवस्था के लिए कितनी बड़ी चेतावनी है। हक़ और न्याय पाने के लिए किसी को अपनी जान दांव पर लगानी पड़े, योगी सरकार के लिए इससे ज़्यादा शर्मनाक और क्या हो सकता है?
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