MP Assembly Elections 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 का शंखनाद हो गया है। चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया है। मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को वोटिंग होगी, जबकि तीन दिसंबर को चुनाव के नतीजे आएंगे। चुनाव के एलान के बाद ताबड़तोड़ रैलियां शुरू हो गयी हैं। मंगलवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शहडोल में एक रैली को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा है।
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भाजपा पर निशाना साधते हुए राहुल गांधी ने कहा कि, आडवाणी जी का मानना था कि BJP-RSS की असली प्रयोगशाला गुजरात में नहीं, मध्य प्रदेश में है। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि, BJP-RSS की इस प्रयोगशाला में… महाकाल लोक में शिव जी से चोरी की जाती है, बच्चों के मिड-डे मील से चोरी की जाती है, व्यापम घोटाला होता है, MBBS की सीट बेची जाती है, BJP का एक नेता आदिवासी के ऊपर पेशाब करता है।
इसके साथ ही भाजपा पर निशाना साधते हुए राहुल गांधी ने कहा, आदिवासी और वनवासी में क्या फर्क है? हम आपको आदिवासी कहते हैं। आदिवासी शब्द का मतलब-हिंदुस्तान के वासी। जो देश में पहले आए थे, जो इस ज़मीन के असली मालिक हैं। हिंदुस्तान की जमीन, जल, जंगल पर आदिवासियों का सबसे पहला हक बनता है। वहीं, बीजेपी आपको वनवासी कहती है। जिसका मतलब है-आपका इस जमीन पर हक नहीं है। आप तो जंगल में रहते हैं।
उन्होंने कहा, कांग्रेस खोखले वादे नहीं करती। हम PESA कानून लाए, वन अधिकार कानून लेकर आए। हमने कानून बनाया था कि-अगर किसी उद्योगपति को आदिवासी की जमीन चाहिए, तो उसे ग्राम सभा के सामने हाथ जोड़कर जमीन मांगनी होगी। लेकिन बीजेपी ने इस PESA कानून को रद्द कर दिया। बीजेपी सरकार ने आपको डरा-धमकाकर, हिंसा के बल पर आपसे आपकी जमीन छीन ली। मैं आपको गारंटी देता हूं-जो आपका हक है, हम उसे आपको जरूर लौटाएंगे।
इसके साथ ही राहुल गांधी ने कहा कि, हिंदुस्तान की सरकार को 90 अफसर चलाते हैं। देश का हर छोटा-बड़ा निर्णय यही 90 अफसर लेते हैं। मनरेगा कैसे बनेगा? आदिवासी बिल कैसे बनेगा? डिफेंस का पैसा कैसे खर्च किया जाएगा? इस तरह के सभी छोटे-बड़े निर्णय यही अफसर लेते हैं। लेकिन इन 90 अफसरों में से सिर्फ 3 OBC वर्ग के हैं। इसका मतलब है कि OBC वर्ग के अफसर, देश के सिर्फ पांच प्रतिशत बजट का फैसला लेते हैं।
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उन्होंने कहा, जब मोदी सरकार 100 रुपए खर्च करती है, तो OBC वर्ग के अफसर 5 रुपए का निर्णय लेते हैं। ऐसे में आदिवासी वर्ग के अफसर कितने रुपए का निर्णय लेते होंगे? इसका जवाब आपको चौंका देगा। आदिवासी अफसर 100 रुपए में से केवल 10 पैसे का निर्णय लेते हैं। आदिवासी वर्ग का इससे बड़ा अपमान नहीं हो सकता।