लखनऊ। इस समय देश में डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) से फ्राड होने की घटनाएं आम हो चुकी हैं। साइबर अपराधियों (Cyber Criminals) और ठगों के अपराध करने का नया तरीका डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) देश की पुलिस के लिए नई चुनौती बन गया है। आए दिन देश के हर कोने से कोई न कोई वारदात सामने आ रही हैं। हालांकि पुलिस और सरकार आम लोगों को जागरूक करने में लगी है, इसके बावजूद ठग आसानी से लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। अब सवाल उठता है कि क्या सरकार इस पर लगाम लगाने में बेबस नजर आ रही है? या फिर साइबर अपराधी पुलिस पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं।
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पीएम नरेंद्र मोदी ने 115वीं ‘मन की बात’ कार्यक्रम डिजिटल अरेस्ट पर कहा-रुको, सोचो और एक्शन लो
हालांकि हाल ही देश के पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) हाल ही देश की जनता से 115वीं ‘मन की बात’ कार्यक्रम डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) पर भी चर्चा करते हुए एक आडियो भी सुनाया था। इसमें एक अधिकारी शख्स को धमकाने का काम कर रहा है। इसमें एक आदमी दूसरे शख्स को डिजिटल अरेस्ट कर रहा है। पीएम ने कहा कि यह लोग आम जनता पर दबाव बनाते हैं और लोगों को ठगने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि जनता को ऐसे मामलों में तीन चरणों पर काम करना चाहिए। ये है रुको, सोचो और एक्शन लो। उन्होंने कहा ऐसे काल आने पर आपको घबराने की जरूरत नहीं है। उन्हें किसी तरह की जानकारी को देने से पहले सोचना चाहिए। इसके बाद आप साइबर सेल में शिकायत कर सकते हैं।
यूपी साइबर पुलिस ने कहा कि सतर्क रहिये! ये एक साइबर क्राइम है तुरन्त 1930 पर रिपोर्ट करें
इससे बचाव के लिए यूपी साइबर पुलिस ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा है कि डिजिटल अरेस्ट से सावधान, देश में डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई व्यवस्था कानून में नहीं है । ये सिर्फ एक फ्राड है ,फरेब है, झूठ है ,बदमाशों का गिरोह है । साइबर पुलिस ने कहा कि सतर्क रहिये! ये एक साइबर क्राइम है तुरन्त 1930 (Helpline Number 1930)पर रिपोर्ट करें।
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केस नंबर 1 : भोपाल के इंजीनियर ने साइबर ठगों से खुद को कैसे बचाया?
भोपाल। साइबर ठगों ने राजधानी भोपाल में रहने वाले एक टेलीकॉम इंजीनियर को लगातार 6 घंटे डिजिटल अरेस्ट कर उलझाए रखा और बदले में 3.5 लाख मांगे, लेकिन ऐन मौके पर पुलिस से संपर्क कर इंजीनियर ने खुद को बचा लिया। भोपाल के बजरिया थाना क्षेत्र में रहने वाले टेलीकॉम कंपनी के इंजीनियर प्रमोद गोस्वामी को साइबर ठगों ने 6 घण्टे तक डिजिटली अरेस्ट करके उलझाए रखा। इस दौरान उन्हें धमकी दी गई और कड़ी कार्रवाई का हवाला देकर 3.50 लाख रुपए की मांग की गई। ठगों ने इंजीनियर व उसके परिवार को 24 घंटे तक निगरानी में रहने के लिए कहा।
फर्जी केस के एवज में इंजीनियर से ठगों ने मांगा 3.50 लाख जुर्माना
इंजीनियर को साइबर अपराधियों ने धमकी दी थी कि उसके आधार कार्ड से कई फर्जी सिम संचालित हो रही है, जिससे गलत काम किए जा रहे हैं, जिसके लिए उसे जेल भी हो सकती है।पीड़ित को बचाने के लिए ठगों ने इंजीनियर से 3.50 लाख रुपए जुर्माने के तौर पर मांगे, जिससे वह घबरा गए।
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वीडियो कॉल पर पुलिस की वर्दी और वकील बनकर खड़े थे ठग
डिजिटल अरेस्ट के दौरान ठगों ने पूरा पुलिस का सीन क्रिएट किया था। ठग न केवल सिर्फ पुलिस की वर्दी में थे, बल्कि एक ठग वकील के रूप में भी मौजूद था। डर के कारण प्रमोद ने अपने दूसरे मोबाइल नंबर बंद कर लिए और सिर्फ ठगों के ही संपर्क में रहा, जिससे प्रमोद को जानने वालों को शक हुआ और मामले की सूचना पुलिस को दी गई।
क्राइम ब्रांच के एडिशनल डीसीपी शैलेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि क्राइम ब्रांच ने टेलीकॉम इंजीनियर के घर पहुंच कर उनसे विस्तृत चर्चा की और डिजिटल अरेस्ट के बारे में उन्हें समझाया, साथ ही आरोपियों को राउंड अप कर उनकी गिरफ्तारी के लिए टीमों को तैनात किया।
पुलिस कमिश्नर बोले, जल्द चिन्हित आरोपी होंगे गिरफ्त में
भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र ने बताया कि घटना में शामिल आरोपियों को चिन्हित कर लिया गया है, जल्द ही वो पुलिस की गिरफ्त में होंगे। उन्होंने बताया कि मामले में पुलिस कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि, प्रथम दृष्टया वीडियो कॉल में तीन व्यक्ति देखे गये हैं। संभव है इसमें अन्य भी शामिल हों।
लगातार कॉल कर परेशान कर रहे थे साइबर ठग
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साइबर ठगों के हाथों डिजिटल लूट का शिकार होते-होते बचे टेलीकॉम इंजीनियर प्रमोद कुमार ने भोपाल पुलिस का धन्यवाद करते हुए बताया कि उनके पास मंगलवार शाम से ही लगातार फर्जी कॉल आ रहे थे और फर्जी कॉल के माध्यम से साइबर अपराधी उन्हें ब्लैकमेल कर रहे थे, जिससे वह काफी परेशान हो गए थे।
केस नंबर नर्सिंग 2: ऑफिसर को 21 घंटे तक ‘डिजिटल अरेस्ट’, ठगों ने 50 हजार रुपये ऐंठे
खंडवा। मध्य प्रदेश के खंडवा जिला अस्पताल में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जहां नर्सिंग ऑफिसर कंचन इनवाती को फर्जी कॉल और वीडियो कॉल के जरिए 21 घंटे तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा गया। महाराष्ट्र क्राइम ब्रांच के नाम से फोन करने वाले ठगों ने कंचन को ड्रग्स सप्लाई में फंसाने की धमकी दी। उसके मोबाइल को हैक कर दिया। डर के मारे वह शुक्रवार दोपहर 2 बजे से शनिवार सुबह 11 बजे तक मोबाइल के सामने बैठी रहीं और किसी से बातचीत नहीं कर पाईं। ठगों ने नर्स को इतना डरा दिया कि उन्होंने पानी पीने के लिए भी उठने से मना कर दिया।
नर्स कंचन इनवाती को फर्जी वीडियो कॉल के जरिए ठगों ने ड्रग्स तस्करी में फंसाने की धमकी दी। 21 घंटे तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा। मामले का खुलासा तब हुआ जब उसकी सहेली रेणुका कोड़ापे उससे मिलने आई, लेकिन ठगों ने उसे भी वीडियो कॉल में फंसाकर धमकाया। ठगों ने रेणुका से भी उसका मोबाइल नंबर मांगा और उसे ड्रग्स केस में शामिल बताकर 50 हजार रुपये ऑनलाइन खाते में जमा करवाए। इस घटना के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और लोगों को ऐसे फर्जी कॉल्स से सतर्क रहने की सलाह दी है।
50 हजार रुपये का ट्रांजेक्शन
खंडवा के जिला अस्पताल की नर्स कंचन इनवाती को फर्जी वीडियो कॉल से ठगों ने ड्रग्स तस्करी के आरोप में ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखकर 50 हजार रुपये ऐंठे। ठगों की धमकी से सहेली रेणुका कोड़ापे ने भी पैसे ट्रांसफर किए और बाथरूम में जाकर खिड़की से पड़ोसी को चिट्ठी के जरिए मदद मांगी। दरवाजा पीटने पर नर्स ने मकान मालिक और परिचितों को पूरी घटना बताई। इसके बाद परिवार ने साइबर क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई। एसपी मनोज कुमार राय ने बताया कि पुलिस कभी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती और ऐसे कॉल्स फर्जी होते हैं, जिससे सावधान रहें।
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केस नंबर 3: साइबर ठगों ने दिल्ली में रिटायर्ड इंजीनियर को 8 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट कर 10 करोड़ रुपये से ज्यादा ठगे
नई दिल्ली। साइबर अपराधियों ने राजधानी दिल्ली के एक रिटायर्ड इंजीनियर को 8 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट कर 10 करोड़ रुपये से ज्यादा ठग लिए। बुजुर्ग को प्रतिबंधित दवाएं देश से बाहर भेजने का डर दिखाकर यह ठगी की गई है। दिल्ली पुलिस की साइबर शाखा इस मामले की जांच में जुटी हुई है।
दिल्ली पुलिस अधिकारी ने बताया कि रोहिणी में रहने वाले 72 वर्षीय बुजुर्ग को पहले पार्सल का झांसा दिया गया। 29 सितंबर को बुजुर्ग के पास साइबर अपराधियों ने फोन किया। फोन करने वाले ने खुद को पार्सल कंपनी का अधिकारी बताया और कहा कि आपके नाम के पार्सल में प्रतिबंधित दवाएं ताइवान से भेजी जा रही थीं। इस बारे में मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारी बात करना चाहते हैं। इसके बाद क्राइम ब्रांच का अधिकारी बनकर ठगों ने बुजुर्ग को स्काइप डाउनलोड करने और वीडियो कॉल पर आने के लिए कहा।
फिर ठगों ने बुजुर्ग को डराया और इसी क्रम में परिवार के बारे में जानकारी हासिल कर ली। इसके बाद बेटा-बेटी को भी फंसाने की धमकी देकर उनसे अलग-अलग बैंक खातों में 10.30 करोड़ रुपये जमा करा लिए। करीब आठ घंटे डिजिटल अरेस्ट होने के बाद पीड़ित कमरे से बाहर आ सके। इसके बाद उन्होंने परिजनों को घटना की जानकारी दी। पीड़ित ने 1 अक्टूबर को पुलिस को शिकायत दी।
विदेश से फोन कर किया डिजिटल अरेस्ट
छानबीन के दौरान पुलिस को पता चला कि बुजुर्ग के पास कंबोडिया से फोन कर आठ घंटे में ठगी की वारदात को अंजाम दिया गया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट के मामले में फोन कंबोडिया, फिलीपींस और ताइवान से आ रहे हैं। इन इलाकों में भारतीय मूल के लोग ही फोन कर फंसा रहे हैं।
बेटा-बेटी से भी रुपये मंगाने को कहा
ठगों के निर्देश पर बुजुर्ग ने खुद को कमरे में बंद कर लिया। इसके बाद पीड़ित से बैंक खातों की जानकारी मांगी। ठगों ने अलग-अलग करके बुजुर्ग के बैंक खातों से 10.30 करोड़ रुपये बताए गए बैंक खातों में ऑनलाइन जमा करवाए। पीड़ित ने रुपये जमा कर दिए तब ठगों ने बेटा-बेटी से भी रुपये मंगाने को कहा। इस पर बुजुर्ग को शक हो गया और उन्होंने लैपटॉप बंद कर दिया। करीब आठ घंटे डिजिटल अरेस्ट होने के बाद पीड़ित कमरे से बाहर आए। उन्होंने परिजनों को घटना के बारे में बताया तो उन्हें ठगे जाने का अहसास हुआ। फिर पीड़ित ने 1 अक्टूबर को रोहिणी साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दी।
सात बैंक खातों में जमा कराए रुपये
जांच में सामने आया है कि ठगी की रकम को पहले सात अलग-अलग बैंक खातों में जमा कराया गया। फिर छोटे-छोटे हिस्से में रकम को एक बैंक खाते से दूसरे बैंक खातों में जमा कराया। इस प्रक्रिया में ठगों ने 15 सौ अलग-अलग बैंक खातों का इस्तेमाल किया। इन बैंक खातों में जमा करीब 60 लाख की रकम फ्रीज कराई गई है। इस रकम का कुछ हिस्सा देश के अलग अलग हिस्सों में निकाला गया है।
बेटा दुबई तो बेटी है सिंगापुर में
जानकारी के अनुसार 72 वर्षीय बुजुर्ग अपनी पत्नी के साथ रोहिणी सेक्टर 10 इलाके में रहते हैं। दंपती का बेटा आईआईटी से पढ़ाई करने के बाद दुबई में कारोबार कर रहा है, जबकि बेटी सिंगापुर में रहती है। वहीं, बुजुर्ग 1972 में रुड़की इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक करने के बाद विभिन्न कंपनियों में बड़े पदों पर रहे। रिटायरमेंट के बाद से वह घर पर रहते हैं।
ऐसे फंसाते हैं आरोपी
डिजिटल अरेस्ट में किसी शख्स को ऑनलाइन माध्यम से डराया जाता है कि वह सरकारी एजेंसी के माध्यम से अरेस्ट हो गया है, उसे जुर्माना देना होगा। डिजिटल अरेस्ट एक ऐसा शब्द है जो कानून में नहीं है।
ठगी से बचने के लिए ये सावधानी बरतें
डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में सबसे पहले जरूरी यह है कि जागरूक रहें। किसी की धमकी से डरें नहीं। संदिग्ध आईडी से आए ई-मेल में लिंक पर क्लिक नहीं करें। किसी भी मामले में संलिप्तता बताए जाने पर तुरंत उस एजेंसी से संपर्क करें। कॉलर की बात पर विश्वास नहीं करें। कॉलर द्वारा बताए गए किसी भी ऐप को डाउनलोड नहीं करें साथ ही उनसे अपने बैंक खाते, पैन कार्ड, आधार कार्ड सहित अन्य जानकारियां साझा नहीं करें। तुरंत साइबर पुलिस को जानकारी दें।