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‘बंगाल में 48,600 बलात्कार और POCSO केस लंबित… फिर भी 11 FTSC नहीं किए चालू’, केंद्र का ममता पर पलटवार

By Abhimanyu 
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Center responded to Mamta’s letter: कोलकाता में महिला ट्रेनी डॉक्टर की रेप और हत्या मामले में सियासत गरमाती नजर आ रही है। इस मामले में पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी टीएमसी और भाजपा आमने-सामने हैं।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को पीएम मोदी को दूसरा पत्र लिखकर रेप, हत्या जैसे जघन्य अपराधों पर कड़े केंद्रीय कानून और कठोर सजा दिए जाने की मांग की है। अब केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने इस पत्र का जवाब दिया है।

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केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने ममता बनर्जी के पत्र का जवाब देते हुए लिखा, “फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (FTSC) विशेष रूप से बलात्कार और POCSO अधिनियम के मामलों से निपटने के लिए बना है। पश्चिम बंगाल में 48,600 बलात्कार और POCSO मामलों के लंबित होने के बावजूद राज्य ने अतिरिक्त 11 FTSC चालू नहीं किए हैं, जो राज्य की आवश्यकता के अनुसार विशेष POCSO न्यायालय या बलात्कार और POCSO दोनों मामलों से निपटने वाले संयुक्त FTSC हो सकते हैं।”

केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने आगे लिखा, “जैसा कि देखा जा सकता है, इस संबंध में आपके पत्र में दी गई जानकारी तथ्यात्मक रूप से गलत है और ऐसा लगता है कि यह राज्य द्वारा फास्ट ट्रैक विशेष कोर्ट (FTSC) को चालू करने में देरी को छिपाने की दिशा में उठाया गया कदम है।” उन्होंने यह भी कहा, “यदि राज्य सरकार केंद्रीय कानूनों का ठीक वैसे ही पालन करती है, तो इससे निश्चित रूप से आपराधिक न्याय प्रणाली को मजबूत करने में मदद मिलेगी। अपराधों को कड़े परिणाम भुगतने पड़ेंगे।”

बता दें कि ममता बनर्जी ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 31 वर्षीय महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना पर देशव्यापी आक्रोश के बाद हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे पर पत्र लिखा था। उन्होंने बलात्कार और हत्या के मामलों के समयबद्ध निपटान के लिए अनिवार्य प्रावधान की मांग की थी।

ममता अपने दूसरे पत्र में लिखा था कि आपको (पीएम मोदी) 22 अगस्त को लिखा मेरा पत्र याद होगा, जिसमें लगातार बढ़ रही रेप की घटनाओं को लेकर सख्त कानून बनाने की जरूरत पर जोर दिया गया था। लेकिन इस संवेदनशील मुद्दे पर आपकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला। हालांकि, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से एक जवाब जरूर मिला. लेकिन मामले की गंभीरता के मद्देनजर यह नाकाफी है। मुझे लगता है कि इस मामले की गंभीरता की ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है।”

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