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गगनयान मिशन का 90 फीसदी काम पूरा, 2027 की शुरुआत में अंतरिक्ष जाएगा पहला मानव मिशन : इसरो प्रमुख

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। भारत का महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन की तैयारियां तेजी से आगे बढ़ रही हैं। इसरो के प्रमुख वी. नारायणन (ISRO chief V. Narayanan) ने बताया कि अब तक मिशन से जुड़ा लगभग 90 प्रतिशत विकास कार्य पूरा हो चुका है। नारायणन ने कहा कि गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है और इसके लिए कई जटिल तकनीकों को विकसित करना पड़ा है। उन्होंने बताया कि गगनयान मिशन बहुत अच्छी तरह आगे बढ़ रहा है। इस मिशन के लिए रॉकेट को मानव उड़ान के लिए उपयुक्त बनाना था, ऑर्बिटल मॉड्यूल तैयार करना था, और पर्यावरण नियंत्रण व सुरक्षा प्रणाली विकसित करनी थी। इसके अलावा, क्रू एस्केप सिस्टम, पैराशूट सिस्टम और अन्य मानव-संबंधी तकनीकें भी बनानी पड़ीं।’

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‘अनक्रूड मिशन की सफलता के बाद भेजे जाएंगे अंतरिक्षयात्री’

इसरो प्रमुख ने कहा कि अब तीन बिना मानव वाले (अनक्रूड) मिशनों को पूरा करना बाकी है। इन मिशनों के सफल होने के बाद ही अंतरिक्षयात्रियों को भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि पहले अनक्रूड मिशन में ‘व्योममित्र’ नाम की मानवाकृति रोबोट को भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि हम 2027 की शुरुआत में मानव मिशन भेजने का लक्ष्य रख रहे हैं।’

‘उभरते विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार’ सम्मेलन के पूर्वावलोकन कार्यक्रम में भाग लेने के बाद, इसरो के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने कहा कि इस मिशन में रॉकेट को 170 किलोमीटर से अधिक की ऊंचाई तक ले जाना शामिल है, जिसके बाद क्रू मॉड्यूल का प्रणोदन 400 किलोमीटर तक पहुंच जाएगा। वापसी के दौरान, सात पैराशूट समुद्र में सुरक्षित उतराई सुनिश्चित करते हैं। एक परीक्षण ने इसे प्रदर्शित किया: मॉड्यूल को वायु सेना के 3 किलोमीटर दूर स्थित हेलीकॉप्टर से गिराया गया, इसके पैराशूट स्वचालित रूप से तैनात हो गए, और नौसेना द्वारा सफलतापूर्वक पुनः प्राप्त कर लिया गया। आगे और भी प्रयोग होने हैं, लेकिन मानव-सदृश मिशन पर प्रगति सहित कार्य जारी है, जिसका लक्ष्य इस वर्ष का पहला क्रू मिशन है।

24 अगस्त 2025 को इसरो ने किया परीक्षण

बता दें कि 24 अगस्त 2025 को इसरो ने गगनयान कार्यक्रम के तहत पहला इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा किया था। यह परीक्षण श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में हुआ। इस टेस्ट में यह परखा गया कि अगर अंतरिक्ष यान को पृथ्वी पर उतारना हो तो नौ पैराशूट एक साथ किस तरह काम करेंगे, ताकि क्रू मॉड्यूल सुरक्षित तरीके से समुद्र में उतर सके।

इसरो प्रमुख वी नारायणन (ISRO chief V. Narayanan)  ने बताया कि हमने एक सिम्युलेटेड मॉड्यूल को हेलिकॉप्टर से करीब तीन किमी ऊंचाई तक ले जाकर छोड़ा, और नौ पैराशूटों की मदद से उसे सफलतापूर्वक सुरक्षित लैंड कराया गया।’ इसरो की इस बड़ी उपलब्धि से यह साफ है कि भारत अब मानव अंतरिक्ष उड़ान की दिशा में निर्णायक कदम बढ़ा चुका है। अगर सब कुछ योजना के अनुसार रहा, तो 2027 की शुरुआत में भारत का अपना पहला मानव मिशन अंतरिक्ष में उड़ान भरते देखा जाएगा।

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