Advertisement
  1. हिन्दी समाचार
  2. देश
  3. कोरोना टीका लगने के बाद दूर हो गया सालों पुराना दर्द, तो किसी की खुजली ठीक हो गई, किसी का दूर हुआ स्लीप डिसऑर्डर

कोरोना टीका लगने के बाद दूर हो गया सालों पुराना दर्द, तो किसी की खुजली ठीक हो गई, किसी का दूर हुआ स्लीप डिसऑर्डर

By टीम पर्दाफाश 
Updated Date

नई दिल्ली। कोरोना वायरस वैक्‍सीन लेने वाले लोगों में कुछ अन्‍य बीमारियों से जुड़ी परेशानी दूर होने की बात भी सामने आई है। ब्रिटेन के एक अखबार ने कई पाठकों के अनुभव प्रकाशित किए हैं, जिसमें उन्‍होंने कहा कि वैक्‍सीन लगने के बाद, किसी का सालों पुराना दर्द चला गया तो किसी की खुजली ठीक हो गई। एक महिला ने अपने पति का करीब 15 साल पुराना स्‍लीप डिसऑर्डर ठीक होने का दावा किया।

पढ़ें :- CISCE Board Result 2024 : माफिया अतीक अहमद के दोनों बेटे पास, जानें 10वीं-12वीं में मिले कितने नंबर

कुछ लोगों ने यहां तक दावा किया कि वायरस से संक्रमित होकर ठीक होने के बाद उनकी सेहत पहले से बेहतर हो गई है। इंग्‍लैंड के ग्रेटर मैनचेस्‍टर में रहने वाली 72 साल की जोएन वेकफील्‍ड की पिछले साल अक्‍टूबर में ‘नी रिप्‍लेसमेंट’ सर्जरी हुई थी। तब से वह बमुश्किल चल पाती थीं। टिश्‍यूज में इन्‍फेक्‍शन हो गया था इसलिए भयंकर दर्द रहने लगा था। फरवरी की शुरुआत में उन्‍हें अस्‍त्राजेनेका की वैक्‍सीन की पहली डोज लगी।

उन्होंने बताया कि अगली सुबह मैं उठी तो पैरों का दर्द और अकड़न गायब थी। मुझे यकीन नहीं हुआ। मैंने अपने पार्टनर से मजाक में कहा कि क्‍या वैक्‍सीन की वजह से ऐसा कुछ हुआ। मैं अपना पांव मोड़ तक नहीं पाती थी। अब मैं पूरा पैर सीधा कर सकती हूं और जूते-मोजे पहन सकती हूं। मुझे लगता है कि मैं जल्‍द ही काम पर लौट पाऊंगी।

पिछले माह एक ब्रिटिश अखबार में जनरल फिजीशियन एली कैनन ने एक अजीब केस के बारे में लिखा। उसे लाइम डिजीज थी। डॉक्‍टर के मुताबिक, कोविड वैक्‍सीन मिलने के कुछ दिन बाद ही लंबे समय से चली आ रही उसकी थकान दूर हो गई। एक महिला ने दावा किया उसे 25 साल से वर्टिगो की समस्‍या थी। वैक्‍सीन लगने के चार दिन बाद यह दिक्‍कत गायब हो गई। एक महिला को बुरी तरह से एग्जिमा था। हाथ, पैरों और करीब आधे बदन में खूब खुजली होती थी। वैक्‍सीन लगने के कुछ ही घंटों बाद एग्जिमा के निशान गायब हो गए।

एक अन्य महिला ने लिखा कि उसके पति को 15 साल पहले स्‍लीप डिसऑर्डर डायग्‍नोज हुआ था। वैक्‍सीन लगने के बाद उसका पति पहली बार पूरी नींद सो पाया। ऐसा नहीं कि टीकों के ऐसे असर वैज्ञानिकों के लिए नई बात हों। दशकों से इन्‍हें ‘नॉन स्‍पेसेफिक इफेक्‍ट्स’ की कैटेगरी में दर्ज किया जाता रहा है। 70 और 80 के दशक में पता चला था कि चेचक के टीकों ने पश्चिमी अफ्रीकी देशों में बच्‍चों की मौत का खतरा एक-तिहाई तक कम कर दिया था।

पढ़ें :- Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस ने अशोक गहलोत को अमेठी और भूपेश बघेल को रायबरेली का नियुक्त किया पर्यवेक्षक
Advertisement