इजरायली सेना ने मंगलवार को कतर की राजधानी दोहा पर हवाई हमला के बाद जब हमास के नेताओं को निशाना बनाया तो ये पूरी दुनिया के लिए हैरान कर देने वाला था। कतर को मध्य पूर्व में अमेरिका का सबसे बड़ा सहयोगी माना जाता है। कतर यह मानता था कि अमेरिकी अड्डा होने की वजह से इजरायल उसके ऊपर हमला नहीं करेगा। लेकिन कतर के साथ ऐसा नहीं हुआ। इजरायल ने हमला करके ये संकेत दिया है कि उसके दुशमन के लिए कोई जहग सुरक्षित नहीं है।
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इजरायल के इस काम ने तुर्की की टेंशन को और बढ़ा दिया है। रक्षा एक्सपर्ट माइकल रुबिन ने एक लेख में बताया कि ऐसा लगता है इजरायली रक्षा बलों ने हवाई हमले के साथ ही सीक्रेट मिशन भी चलाया है। वॉशिंगटन के कुछ न्यूज़ से पता चलता है कि उन्हें वॉइट हाउस से भी इसमें मदद मिली। कई अमेरिकी राजनयिक लंबे समय से हमास को शांति प्रक्रिया की राह में बाधा मानते रहे हैं। इजरायल हमास को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है और उसने उसी के अनुसार काम किया।
हमास के लिए कोई जगह सुरक्षित नहीं- माइकल रूबिन
रक्षा एक्सपेर्ट माइकल रुबिन ने बताया कि हमास के बारे में इजरायल के आकलन को देखते हुए बहुत हद तक संभव है कि इस समूह को जहां भी पनाह मिलती है, इजरायल वहां निशाना बनाना जारी रखेगा. हमास के नेता अब समझ गए हैं कि गाजा के बाद अब तेहरान और दोहा भी उनके लिए सुरक्षित नहीं है. ऐसे में उनकी आखिरी शरण स्थली तुर्की है।
तुर्की को सावधान रहने की जरूरत- रूबिन
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बता दें की रूबिन ने कहा तुर्की और हमास को इजराइल से सावधानी बरतने की सलाह दी । नाटो एक सर्वसम्मति से चलने वाला संगठन है और शायद ही इसमें कोई फैसला तत्काल लिया जाता है. स्वीडन और फिनलैंड तुर्की की जबरन वसूली और ब्लैकमेल से नाराज हैं. वॉशिंगटन भी वीटो कर सकता है, भले ही डोनाल्ड ट्रंप के तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन के साथ घनिष्ठ व्यक्तिगत और व्यावसायिक संबंध हों. अगर इजरायल आत्मरक्षा में कार्रवाई करता है तो शायद हमलावर वाले प्रावधान लागू न हों।