आज 24 जनवरी को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) का जन्मदिन है। भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न (Bharat Ratna) देने का ऐलान किया है। इस ऐलान के साथ ही इतिहास के पन्नों में दर्ज ये नाम एक बार फिर सुर्खियों में आ गया। कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) वो नाम है जिनके ईमानदारी के किस्से आज भी बिहार में बहुत फेमस हैं। कर्पूरी ठाकुर साल 1952 से लगातार विधायक पद पर जीतते रहे, सिर्फ 1984 का लोकसभा चुनाव हारे। इतना ही नहीं एक बार डिप्टी सीएम रहे, दो बार मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली।
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दशको तक विधायक और विरोधी दल के नेता रहे थे। दशकों से उन्हें जनता और लोगो का प्यार मिलता रहा। वे न सिर्फ एक कुशल राजनीतिज्ञ बल्कि बेहतरीन शख्सियत भी थे। आज उनके जन्म दिन पर खास उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हे जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) के बारे में ऐसा कहा जाता है कि सत्तर के दशक में पटना में विधायकों और पूर्व विधायकों के निजी आवास के लिए सरकार सस्ती दर पर जमीन दे रही थी। खुद कर्पूरी ठाकुर के दल के कुछ विधायकों ने कर्पूरी ठाकुर से कहा कि आप भी अपने आवास के लिए जमीन ले लीजिए। कर्पूरी ठाकुर ने साफ मना कर दिया था तब के एक विधायक ने उनसे यह भी कहा था कि जमीन ले लीजिए। वरना आप नहीं रहिएगा तो आपका बाल-बच्चा कहां रहेगा? कर्पूरी ठाकुर ने कहा कि अपने गांव में रहेगा। आरंभ से ही बाल-बच्चों की आर्थिक बेहतरी की चिंता करने वाले तब के उस नेता को बाद के वर्षों में जायज आय से अत्यधिक धनोपार्जन के कारण कानूनी परेशानियां और बदनामी झेलनी पड़ीं।
कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) को गरीबों का मसीहा माना जाता था। कर्पूरी ठाकुर बहुत गरीब परिवार से थे। उनके बारे में कहा जाता है कि सत्ता में रहने के बावजूद उन्होंने कभी इसका दुरुपयोग नहीं किया। कर्पूरी ठाकुर अपनी ईमानदारी के बारे में जाना जाता है मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उनके लिए कहा जाता है कि उनकी ईमानदारी के कई किस्से आज भी बिहार में सुनने को मिलते हैं।
बिहार के गांव पितौझिया में हुआ था जन्म
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कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) का जन्म 24 जनवरी 1924 में बिहार के समस्तीपुर जिले के पितौंझिया गांव में हुआ था जिसका नाम अब कर्पूरी ग्राम है । उनके पिता का नाम गोकुल ठाकुर और माता का नाम रामदुलारी था।
ठाकुर हिंदी भाषा के समर्थक थे और बिहार के शिक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने मैट्रिक पाठ्यक्रम से अंग्रेजी को अनिवार्य विषय से हटा दिया था। यह आरोप लगाया गया है कि राज्य में अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा के निम्न मानकों के कारण बिहारी छात्रों को नुकसान उठाना पड़ा। 1970 में बिहार के पहले गैर- कांग्रेसी समाजवादी मुख्यमंत्री बनने से पहले ठाकुर ने बिहार के मंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने बिहार में पूर्ण शराबबंदी भी लागू की। उनके शासनकाल में बिहार के पिछड़े इलाकों में उनके नाम पर कई स्कूल और कॉलेज स्थापित किये गये।
पितौंझिया का नाम बदलकर कर्पूरी कर दिया गया था
साल 1988 में कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) के निधन के बाद जिस गांव में उनका जन्म हुआ था पितौंझिया का नाम बदलकर कर्पूरी कर दिया गया था। भारत सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (Bharat Ratna) (मरणोपरांत) से सम्मानित करने की घोषणा मंगलवार (23 जनवरी) को की। सरकार ने यह घोषणा ऐसे समय की है जब आज 24 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनकी तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा है कि-
मुझे इस बात की बहुत प्रसन्नता हो रही है कि भारत सरकार ने समाजिक न्याय के पुरोधा महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। उनकी जन्म-शताब्दी के अवसर पर यह निर्णय देशवासियों को गौरवान्वित करने वाला है। पिछड़ों और वंचितों के उत्थान के लिए कर्पूरी… pic.twitter.com/hRkhAjfNH3
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— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2024