पर्दाफाश न्यूज़ ब्यूरो महराजगंज :: नौतनवा क्षेत्र के बनरसिया गांव में स्थित प्राचीन बौद्ध स्थल देवदह के उत्खनन की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। पुरातत्व विभाग के टेंट लगाने के लिए परिसर की साफ-सफाई हो रही है। बौद्ध स्थल के रहस्यों की असलियत जानने के लिए ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस स्थल पर राज्य पुरातत्व विभाग ने पुनः उत्खनन का निर्णय लिया है। दो-तीन दिनों में उत्खनन शुरू होने की पूरी सम्भावना है।
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लक्ष्मीपुर के बनरसिया कला में स्थित प्राचीन बौद्ध स्थल देवदह को बौद्ध साहित्य में गौतम बुद्ध की माता महामाया और मौसी महा प्रजापति की जन्मस्थली के रूप में जाना जाता है। इस स्थल का उल्लेख बौद्ध ग्रंथों में भी है, जिससे इसका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व और बढ़ जाता है। इस पवित्र बौद्ध स्थल का उत्खनन 1992, 2023 एवं 2024 में हो चुका है। 2025 में फिर बौद्ध स्थल की असलियत जानने के लिए 17 जनवरी को पुरातत्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के ठहरने के लिए साफ-सफाई कराई जा रही है। इस प्रक्रिया में प्राचीन अवशेषों और स्थापत्य कला को उजागर करने का प्रयास किया जाएगा।
राज्य उत्खनन एवं अन्वेषण अधिकारी रामविनय ने बताया कि इस उत्खनन के जरिए देवदह की असलियत को सामने लाना चाहते हैं। इससे न केवल इसके इतिहास की गहराई को समझा जा सकेगा, बल्कि भारतीय संस्कृति और बौद्ध धर्म से जुड़े अनेक अनछुए पहलुओं का भी खुलासा होगा। उम्मीद है कि उत्खनन का कार्य दो-तीन दिन में शुरू होगा।
फिर उत्खनन होने को लेकर उत्साह
देवदह रामग्राम बौद्ध विकास समिति के अध्यक्ष जितेंद्र राव ने बताया कि पवित्र बौद्ध स्थल देवदह के पुनः उत्खनन को लेकर बेहद उत्साह है। उनका कहना है कि यह स्थल न केवल ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि यहां का पुनरुद्धार पर्यटन और शिक्षा के क्षेत्र में भी योगदान देगा।