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प्‍लॉट रजिस्‍ट्री धोखाधड़ी में कैसे बचाव किया जा सकता है? एक्‍सपर्ट के जरिये दे रहे हैं जानकारी

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्‍ली। प्रॉपर्टी का बाजार हमेशा मुनाफे का सौदा रहा है। लंबे समय के लिए निवेश करने वाले ज्‍यादातर लोग प्‍लॉट या जमीन खरीदते हैं। इसमें कम समय में ही जमीन की कीमत काफी बढ़ जाती है, जिससे निवेश करने वाले को बंपर मुनाफा होता है। यही कारण है कि आजकल बहुत से लोग खुद जमीन खरीदकर उसकी प्‍लॉटिंग करते हैं, लेकिन, धड़ाधड़ हो रही इस रजिस्‍ट्री के बीच धोखाधड़ी का खेल भी खूब खेला जाता है। आपने भी देखा होगा कि किसी एक प्‍लॉट की रजिस्‍ट्री कई लोगों के नाम हो जाती है। धोखाधड़ी का यह खेल कैसे होता है और इससे कैसे बचाव किया जा सकता है? इसकी पूरी जानकारी एक्‍सपर्ट के जरिये दे रहे हैं।

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जमीन खरीदने से पहले यह बात ध्‍यान में रखनी चाहिए कि गांव और शहर में जमीन की रजिस्‍ट्री अलग-अलग तरीके से होती है। अगर गांव में किसी की जमीन खरीद रहे हैं तो उसे आप पहले से जानते-पहचानते होंगे, जिससे फर्जीवाड़ा होने का ज्‍यादा चांस नहीं होता है। अगर अब शहर में प्‍लॉट खरीदने जा रहे हैं तो सावधान रहने की ज्‍यादा जरूरत है। शहरों में अक्‍सर विक्रेता बड़ी जमीन को खरीदकर उसकी प्‍लॉटिंग करते हैं। मान लीजिए कोई जमीन 1 हेक्‍टेयर की है तो प्‍लॉटिंग के जरिये उसे 20 या 30 लोगों को एक-एक टुकड़ा बेचा जा रहा है।

गाटा संख्‍या जरूर देखें
प्रॉपर्टी एक्‍सपर्ट प्रदीप मिश्रा ने बताया कि जब कोई जमीन खरीदकर उस पर प्‍लॉटिंग शुरू करता है तो वह जमीन को भले ही कितने टुकड़ों में बांटकर प्‍लॉट बनाए लेकिन उसका गाटा संख्‍या एक ही होता है। यानी 20 प्‍लॉट का नंबर तो 1,2,3,4 अलग-अलग होगा, लेकिन इन सभी प्‍लॉट का गाटा संख्‍या एक ही रहेगा। यहीं पर फर्जीवाड़ा शुरू होता है और एक ही नंबर का प्‍लॉट कई लोगों को रजिस्‍ट्री कर दिया जाता है। यानी एक ही जमीन के 3 या 4 दावेदार पैदा हो जाते हैं।

कैसे होता है फर्जीवाड़ा?
प्‍लॉट रजिस्‍ट्री में फर्जीवाड़ा शुरू होता है पहली रजिस्‍ट्री के बाद। जमीन का मालिक किसी एक व्‍यक्ति को पहले प्‍लॉट की रजिस्‍ट्री करता है, जिसमें गाटा संख्‍या के साथ प्‍लॉट नंबर भी दर्ज रहता है। इस प्‍लॉट की खतौनी में जमीन के मूल मालिक का नाम होता है। जमीन की रजिस्‍ट्री के बाद सबसे जरूरी काम होता है दाखिल खारिज कराना। यह काम रजिस्‍ट्री के 2 से 3 महीने के भीतर हो जाना चाहिए। सारा फर्जीवाड़ा इसी दौरान होता है। चूंकि, जमीन के पहले खरीदार ने दाखिल खार‍िज नहीं कराया होता है, लिहाजा उसके खतौनी में पुराने मालिक का नाम ही चढ़ा रह जाता है। अब दूसरे खरीदार को वही जमीन दिखाकर फिर बेच दी जाती है और उसके दाखिल खारिज कराने से पहले ही किसी तीसरे और चौथे व्‍यक्ति के नाम पर भी उसकी रजिस्‍ट्री कर पैसा वसूल लिया जाता है।

 

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अब चूंकि, आप प्‍लॉट महानगर में किसी बिल्‍डर से खरीद रहे हैं जिसने रजिस्‍ट्री में फर्जीवाड़ा कर आपका पैसा फंसा दिया है। ऐसे में आप तत्‍काल अपने पैसों की वसूली नहीं कर सकते हैं। जांच होने पर जमीन उसी व्‍यक्ति को मिलेगी जिसने सबसे पहले रजिस्‍ट्री कराई है। लेकिन दूसरे-तीसरे या अन्‍य व्‍यक्ति को अपना पैसा वापस पाने के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ सकती है।

कैसे करें बचाव?
किसी जमीन को सबसे पहले खरीदने वाले को तो जांच के बाद मालिकाना हक मिल जाता है, लेकिन दिक्‍कत दूसरे या अन्‍य व्‍यक्ति को आती है जो उसी जमीन को खरीदता है। ऐसे फर्जीवाड़े से बचने के लिए खरीदार को पहले रजिस्‍ट्रार ऑफिस जाकर उस जमीन के गाटा संख्‍या के जरिये यह पता करना चाहिए कि उसमें से कौन-सा प्‍लॉट कितने लोगों को बेचा जा चुका है।भले ही उस जमीन का दाखिल खारिज न कराया गया हो, लेकिन रजिस्‍ट्रार ऑफिस में उसकी रजिस्‍ट्री से जुड़ा सारा ब्‍योरा आपको मिल जाएगा। इससे आप पहले जान सकेंगे कि जो प्‍लॉट आपको बेचा जा रहा, वह पहले ही किसी को बेचा गया है या नहीं।

लिहाजा जब भी कोई प्‍लॉट खरीदना हो तो उसे खरीदने से पहले सबसे पहले उसकी खतौनी लीजिए और रजिस्‍ट्रार ऑफिस में जाकर यह पता कीजिए कि यह जमीन किसी को बेची गई है या नहीं। इसके अलावा जैसे ही जमीन की रजिस्‍ट्री कराएं, नियत समय के बाद उसकी दाखिल खारिज जरूर कराएं। इससे गाटा संख्‍या और खतौनी में आपका नाम दर्ज हो जाएगा और इसका फर्जीवाड़ा नहीं किया जा सकेगा।

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