Chaturmas 2025 : आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है। कहीं-कहीं इस तिथि को ‘पद्मनाभा’ भी कहते हैं। सूर्य के मिथुन राशि में आने पर ये एकादशी आती है। इसी दिन से चातुर्मास का आरंभ माना जाता है। इस दिन से भगवान श्री हरि विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं और फिर लगभग चार माह बाद तुला राशि में सूर्य के जाने पर उन्हें उठाया जाता है। उस दिन को देवोत्थानी एकादशी कहा जाता है। इस बीच के अंतराल को ही चातुर्मास कहा गया है। इस साल देवशयनी एकादशी 06 जून दिन रविवार को है। इस दौरान विवाह समेत सभी मांगलिक काम तो बंद हो जाते हैं। लेकिन, हवन, यज्ञ और तप करना बहुत शुभ माना जाता है। इन दिनों में नियमपूर्वक जीवनशैली अपनाकर व्यक्ति ना केवल पुण्य अर्जित करता है, बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक बल भी प्राप्त करता है।
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चातुर्मास में पालन करने वाले नियम
ध्यान और कीर्तन
चातुर्मास में रोजाना धर्मग्रंथों जैसे श्रीमद्भगवद्गीता, रामायण, भागवत कथा का अध्ययन करें। भजन, ध्यान और कीर्तन को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। इस दौरान पड़ने वाले व्रत और पर्वों का पालन करें।
मसालेदार चीजें से बचाव
चातुर्मास में शुद्ध, सात्विक, घर में बना भोजन प्राप्त करें। तला-भुना, बाहर का खाना और मसालेदार चीजें से बचाव करें।
शाक-पात नहीं ग्रहण करना चाहिए
चातुर्मास की अवधि में गुड़, तेल, शहद, मूली, परवल, बैंगन एवं शाक-पात नहीं ग्रहण करना चाहिए। परिजनों के अतिरिक्त किसी अन्य प्रदत्त दही और भात का सेवन भूलकर नहीं करना चाहिए। चातुर्मास व्रत का पालन करने वालों को अन्यत्र भ्रमण नहीं करना चाहिए। एक ही स्थान पर देव-अर्चना करनी चाहिए।
क्रोध और नकारात्मकता से बचें।