नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में न्यायिक अधिकारियों को बकाया पेंशन और रिटायरमेंट से जुड़े लाभों के भुगतान को लेकर दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (SNJPC) की सिफारिशों के कथित गैर-अनुपालन मामले में 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव पेश हुए। पिछली सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) ने नोटिस जारी कर आज मंगलवार को इन्हें पेश होने का आदेश दिया था।
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देश की सबसे बड़ी अदालत ने मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, बिहार, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, केरल और दिल्ली जैसे राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के अनुपालन हलफनामों को लेकर संज्ञान लिया और उनके खिलाफ सुनवाई बंद करने का आदेश दिया। सिफारिशों के अनुपाल को लेकर सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने पूछा कि वे कौन से राज्य हैं जिन्होंने इसका अनुपालन किया है? इस पर न्याय मित्र परमेश्वर ने बताया कि मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, मेघालय और हिमाचल प्रदेश ने फंड उपलब्ध कराया है।
4 हफ्ते के अंदर राज्यों को इसका अनुपालन करना होगा
सीजेआई चंद्रचूड़ (CJI Chandrachud) ने कहा कि इन 4 राज्यों को आगे भी समझाने की जरूरत है, जहां तक तमिलनाडु का सवाल है, फंड उपलब्ध करा दिया गया है। न्यायिक अधिकारियों को 4 हफ्ते के भीतर अपने बिल जमा करने की अनुमति दी जाती है। वितरण का काम 4 हफ्ते के अंदर किया जाएगा।
अब पेश होने की जरुरत नहीं
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मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) की अगुवाई वाले जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की 3 सदस्यीय बेंच ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों के वेतन, पेंशन और उनके भत्तों से जुड़े बकाया के भुगतान पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के निर्देशों का पालन करने वाले राज्यों के मुख्य सचिवों और वित्त सचिवों को अब अदालत में पेश होने की जरूरत नहीं है। बेंच ने कहा कि हमें राज्यों के मुख्य सचिवों और वित्त सचिवों को कोर्ट में तलब करने में कोई खुशी नहीं होती। हालांकि राज्यों के वकील सुनवाई के दौरान लगातार अनुपस्थित रहे हैं।
इससे पहले कोर्ट ने तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, असम, नगालैंड, मेघालय, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, झारखंड, केरल, हरियाणा, बिहार, गोवा और ओडिशा के शीर्ष अधिकारियों को आज मंगलवार को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने को कहा था।
कोर्ट की ओर से यह निर्देश तब जारी किया गया था जब वरिष्ठ वकील और न्याय मित्र के परमेश्वर ने बेंच को बताया कि कई आदेशों और समय विस्तार के बावजूद, 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने एसएनजेपीसी (SNJPC) की सिफारिशों का पूरी तरह से पालन नहीं किया जा सका है। अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ (AIJA ) पूर्व न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों के लिए कल्याणकारी और अन्य कदम लागू करने की मांग कर रहा है।