मुंबई। महाराष्ट्र चुनाव (Maharashtra Elections) में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने ‘बटेंगे तो कटेंगे’ (Batenge toh kathenge) नारे को लेकर राज्य का सियासी पारा हाई है। जहां एक तरफ विपक्ष इसे मुद्दा बना रहा है, तो वहीं दूसरी ओर महायुति के नेता भी इस नारे से दूरी बना रहे हैं। बता दें कि राज्य के डिप्टी सीएम अजित पवार, बीजेपी नेता एमएलसी पंकजा मुंडे (BJP MLC Pankaja Munde) के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के राज्यसभा सांसद अशोक चव्हाण (Rajya Sabha MP Ashok Chavan) ने भी इस नारे को अप्रांसगिक बताया है।
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‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नारा पूरी तरह अप्रासंगिक है और महाराष्ट्र की जनता इसे पसंद नहीं करेगी : राज्यसभा सांसद अशोक चव्हाण
बीजेपी के राज्यसभा सांसद अशोक चव्हाण (Rajya Sabha MP Ashok Chavan) ने कहा कि ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ (Batenge toh kathenge) का नारा पूरी तरह अप्रासंगिक है और महाराष्ट्र की जनता इसे पसंद नहीं करेगी। इस नारे की कई प्रासंगिकता नहीं है। नारे चुनाव के समय हुए जाते हैं। यह विशेष नारा अच्छा नहीं है और मुझे नहीं लगता लोग इसे पसंद करेंगे। निजी तौर पर मैं ऐसे नारे के खिलाफ हूं क्योंकि यह समाज के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। हमें देखना होगा कि इससे किसी की भावनाएं आहत नहीं होनी चाहिए।
महाराष्ट्र को ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ जैसे नारे की जरूरत नहीं : एमएलसी पंकजा मुंडे
इससे पहले बीजेपी की एमएलसी पंकजा मुंडे (BJP MLC Pankaja Munde) ने भी नारे को लेकर कहा था कि महाराष्ट्र को ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ जैसे नारे की जरूरत नहीं है। हम इसका केवल इसलिए समर्थन नहीं कर सकते, क्योंकि हम भी उसी पार्टी से हैं। मेरा मानना है कि विकास ही असली मुद्दा है। नेता का काम है कि इस धरती पर रहने वाले हर व्यक्ति को अपना समझे। हमें महाराष्ट्र में इस तरह के विषय नहीं लाने चाहिए। योगी आदित्यनाथ ने ये यूपी के संदर्भ में कहा था जहां अलग तरह की राजनीतिक परिस्थितियां हैं। उनकी बात का वही अर्थ नहीं जो समझा जा रहा है।
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राज्य के डिप्टी सीएम अजित पवार भी नारे का कर चुके हैं विरोध
बता दें कि राज्य के डिप्टी अजित पवार (State Deputy Ajit Pawar) ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का जिक्र करते हुए कहा था कि इस तरह की बातें यहां नहीं चलेंगी। ये यूपी में चलता होगा, महाराष्ट्र में इस तरह की बातें बिल्कुल नहीं चलेंगी। महाराष्ट्र साधु-संतों का, शिवप्रेमियों का, शिवाजी और अंबेडकर का है। उनकी सिखाई बातें हमारे खून में हैं और हम उसी रास्ते पर चलेंगे। मुसलमानों की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचने देंगे।