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कांग्रेस ने बजट को लेकर मोदी सरकार को कोसा, कहा- ये कुर्सी बचाने वाला बजट था,अभी आगे देखिए… क्या-क्या होता है?

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट मंगलवार 23 जुलाई को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने पेश कर दिया है। इस बजट पर कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में मंगलवार को प्रतिक्रिया देते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम (Senior Leader P Chidambaram) व राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत (National Spokesperson Supriya Shrinet) ने मोदी सरकार (Modi Government) पर बड़ा हमला बोला है।

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सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि यह देखकर काफी खुशी हुई कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस के न्याय पत्र को बड़ी तल्लीनता से पढ़ा है। उनका ये ‘कुर्सी बचाओ बजट’ एक तरह से कांग्रेस के न्याय पत्र का कॉपी-पेस्ट है। उन्होंने कहा कि हमें आशा और विश्वास है कि आने वाले दिनों में वह हमारे घोषणा पत्र से और भी अच्छी चीजें उठाएंगी, जिससे देश के लोगों को लाभ मिलेगा। सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि ये कुर्सी बचाने वाला बजट था। कुर्सी को बचाने के लिए ही ये सारी कवायद की गई है। अभी आगे-आगे देखिए होता है क्या?

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देश में दो-कर व्यवस्था एक बुरा विचार है : पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम 

देश के पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि देश में दो-कर व्यवस्था एक बुरा विचार है। यदि आप एक नई कर व्यवस्था शुरू करना चाहते हैं, तो आपको इसकी घोषणा पहले ही कर देनी चाहिए और कहना चाहिए कि इस वित्तीय वर्ष से सभी को एक नई कर व्यवस्था में जाना होगा।

उन्होंने कहा कि दो-कर व्यवस्था अस्वीकार्य और एक बुरा विचार है। इससे कर मध्यस्थता की स्थिति पैदा होगी और लोग इस बात को लेकर भ्रमित हो जाएंगे कि पुरानी व्यवस्था में बने रहें या नई व्यवस्था में आएं। मुझे बताया गया है कि यदि आप एक बार कर व्यवस्था में आ जाते हैं और वापस आ जाते हैं तो यह और भी जटिल हो जाता है, लेकिन यदि आप दूसरी बार कर व्यवस्था में आते हैं तो आप वापस नहीं आ सकते। मैं पूरी तरह से भ्रमित हूँ। मुझे नहीं लगता कि उन्होंने इस बजट में नई कर व्यवस्था में आने के लिए कोई खास प्रोत्साहन दिया है। उन्होंने पिछले बजट में ऐसा किया था। इस बार, उन्होंने स्लैब बढ़ाकर केवल कर प्रभाव को कम किया है। लेकिन इससे केवल 0-20% कर ब्रैकेट वाले लोगों को ही लाभ होगा।

पी चिदंबरम ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इससे उस ब्रैकेट से ऊपर के किसी व्यक्ति को लाभ होगा। इसका उत्तर यह है कि मैं ऐसा नहीं करता और मैं दो-कर व्यवस्था का समर्थन नहीं करूंगा। उन्होंने कहा कि दीर्घावधि पूंजीगत लाभ के बारे में दूसरे प्रश्न पर, जैसा कि मैं बोल रहा हूं, पूरी तरह से भ्रम की स्थिति है। उन्होंने धारा 48 के दूसरे प्रावधान को हटा दिया। लेकिन तीसरा प्रावधान दूसरे प्रावधान को संदर्भित करता है।

इसलिए जब तक आप वित्त विधेयक के बारीक प्रिंट को ध्यान से नहीं पढ़ेंगे, इसे ध्यान से नहीं पढ़ेंगे और इसका विश्लेषण नहीं करेंगे, मैं किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकता। लेकिन कुल मिलाकर, टेलीविजन पर टिप्पणीकारों को लगता है कि, जहां तक रियल एस्टेट का सवाल है, इंडेक्सेशन लाभ हटा दिया गया है, और 23 जुलाई, 2024 के बाद कोई भी बिक्री इंडेक्सेशन के लाभ के बिना होगी। उन्होंने कहा कि अब, बड़ी संख्या में लोग जिन्होंने ऐसे घर खरीदे हैं जिनकी कीमत बढ़ गई है, उन्हें निश्चित रूप से नुकसान होगा, लेकिन जैसा कि मैंने कहा, मैं कर परिवर्तनों के प्रभाव पर अपना निर्णय सुरक्षित रखूंगा।

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बजट से हमारी उम्मीद और हमारा रिस्पॉन्स-

बेरोजगारी

देश के सामने सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है। यह देश की सबसे बड़ी चुनौती है। हमें आशा थी कि इस बजट में रोजगार के अवसर दिए जाएंगे, बेरोजगारी की समस्या का अंत होगा। बजट में कहा गया है कि 3 तरह की योजनाओं में करीब 2.90 करोड़ लोगों को फायदा होगा। ऐसा नहीं होने वाला है। इस बजट में रोजगार सृजन का एक बड़ा मौका खो दिया गया है।

महंगाई

यह देश कमर तोड़ महंगाई से जूझ रहा है। आज WPI करीब 3.4% है और Food inflation 9.50% है। उसके बाद भी इकोनॉमिक सर्वे में 1.7% के एक मैन्युफैक्चरिंग डिफ्लेटर की बात की गई है। लेकिन विश्व के बड़े-बड़े अर्थशास्त्री इस डिफ्लेटर के नंबर पर यकीन नहीं रखते हैं। यहां ये भी मानना मुश्किल है कि अगर 8.2% GDP ग्रोथ हो रही है, तो कृषि सिर्फ 1.4% पर और उपभोग सिर्फ 4% पर कैसे आगे बढ़ रहा है।वित्त मंत्री ने महंगाई पर मात्र 10 शब्द बोले हैं। इस बजट में महंगाई को कम करने की कोई राहत दिखाई नहीं दे रही है।

शिक्षा

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आज बच्चे अपनी क्लास के हिसाब से पढ़ाई नहीं कर सकते हैं और यह भी माना जाता है कि उस तरह की स्किल नहीं है, इसलिए शिक्षा पर ध्यान देना काफी जरूरी था। आज देश में NEET काफी बड़ा मुद्दा है, लेकिन इस पर एक शब्द नहीं बोला गया। पिछली बार स्कूल बजट में 1,16,417 करोड़ रुपए खर्च करने की बात की गई थी, लेकिन 1,08,878 रुपए खर्च किया गया है।

स्वास्थ्य

यह सबको पता है कि पब्लिक हेल्थ केयर का बुरा हाल है। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर, नर्स, स्टाफ की भारी कमी है। माना जा रहा था कि सरकार इस बार स्वास्थ्य पर ज्यादा खर्च करेगी, लेकिन ज्यादा करने के बजाए इसको घटाया जा रहा है। पिछली बार बजट 88,956 करोड़ था, लेकिन खर्च 80,000 करोड़ से कम किया गया है। इसमें 8 हजार करोड़ से ज्यादा की कटौती की गई है।

आय

6 साल से लोगों की इनकम बढ़ नहीं रही है। वित्तीय वर्ष 2018-23 के बीच लोगों की आय- स्व-रोजगार वाले 12,800 रुपए प्रति माह
दिहाड़ी मजदूर करीब 7,400 रुपए प्रति माह मजदूर 19,750 रुपए प्रति माह हमारी मांग रही है कि न्यूनतम आय 400 रुपए प्रतिदिन की होनी चाहिए। लेकिन सच्चाई यही है कि दिहाड़ी मजदूरों को कोई भी राहत नहीं दी गई है।

कृषि

किसान MSP की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने अपने बजट में एक शब्द नहीं बोला है। इसके साथ ही कृषि का बजट घटा दिया गया है।

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शिक्षा लोन

हमारी मांग थी कि एक बार आउटस्टैंडिंग शिक्षा लोन माफ कर दिया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस बजट में शिक्षा लोन देने की बात हुई, लेकिन जो लोग शिक्षा लोन लेकर जूझ रहे हैं, उसे माफ करने की बात नहीं की गई।

अग्निपथ

हमारी मांग थी कि अग्निपथ स्कीम को खत्म किया जाए, लेकिन अग्निपथ स्कीम पर भी एक शब्द नहीं बोला गया।

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