Executive can’t become judge : सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को बुलडोजर कार्रवाई पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि कार्यपालिका न्यायपालिका की अवहेलना नहीं कर सकती है और इस बात पर जोर दिया कि “कानूनी प्रक्रिया”(legal process) को किसी आरोपी के अपराध के बारे में पूर्वाग्रह (Prejudices about crime) से ग्रसित नहीं होना चाहिए।” बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला आ गया है। बुलडोजर एक्शन (Bulldozer Action) पर जस्टिस बी आर गवई (Justice B R Gavai) और जस्टिस के वी विश्वनाथन (Justice K V Vishwanathan) की बेंच अपना फैसला सुनाया । सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की मनमानी कार्रवाई पर रोक लगाई है और कहा है कि मनमाने ढंग से घर गिराना कानून का उल्लंघन है।
पढ़ें :- महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार में शरद पवार के वीडियो इस्तेमाल करने पर अजित को SC की फटकार, कहा-अपने पैरों पर खड़ा होना होगा…
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों में कानून का राज होना चाहिए। किसी की संपत्ति मनमाने ढंग से नहीं ले सकते। अगर कोई दोषी भी है तो भी कानूनन ही घर गिरा सकते हैं। आरोपी और दोषी होना घर तोड़ने का आधार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी का घर उसकी उम्मीद होती है।
न्यायालय ने कहा, “निष्पक्ष सुनवाई के बिना किसी को भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।” न्यायालय ने आरोपी या दोषी ठहराए गए लोगों सहित सभी के लिए उपलब्ध सुरक्षा को सुदृढ़ किया।
न्यायालय ने चेतावनी दी कि ऐसे मामलों में कार्यपालिका का अतिक्रमण मूलभूत कानूनी सिद्धांतों को बाधित करता है।
न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि जब अधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम करते हैं तो उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। इस तरह की मनमानी कार्रवाई, खास तौर पर न्यायिक आदेश के अभाव में, कानून के शासन को कमजोर करती है।
पढ़ें :- सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यूपी व अन्य राज्यों में बुलडोजर का छाया आतंक अब जरूर समाप्त होगा: मायावती
मनमानी कार्रवाई करने पर नपेंगे अधिकारी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनमाने ढंगे से संपत्ति पर बुलडोजर चलवाने पर अधिकारी जवाबदेह होंगे। अगर किसी अधिकारी ने मनमानी अवैध कार्रवाई की तो उसे दंडित किया जाएगा। अपराध की सजा देना कोर्ट का काम है। अभियुक्तों और दोषियों के पास भी कुछ अधिकार हैं। सिर्फ आरोपी होने पर घर गिराना कानून का उल्लंघन है।