लखनऊ। एकेटीयू के पूर्व कुलपति विनय पाठक पर फिर से सवाल उठने लगे हैं। इस बार विनिमितिकरण में धांधली को लेकर वो घिर गए हैं। एकेटीयू के विनियमित कर्मी वाशुदेव यादव ने विनियमितीकरण पर सवालिया निशान लगा दिया है। वाशुदेव यादव ने एकेटीयू के पूर्व कुलसचिव को पत्र लिखकर विनियमितीकरण में हुई धांधली को लेकर पत्र लिखा है।
पढ़ें :- बृजभूषण शरण सिंह के बेटे को टिकट मिलने पर बोलीं साक्षी मलिक-क्या देश की सरकार एक आदमी के सामने इतनी कमज़ोर होती है?
इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि, 18/09/2021 को आप सभी को पत्र के माध्यम से यह निवेदन किया गया था कि दिसम्बर 2001 मेरे ही साथ कार्यरत तीन चतुर्थ श्रेणी कर्मियों (विनय श्रीवास्तव, विपिन तिवारी, अनुसुईया शुक्ला) को तृतीय श्रेणी में प्रोन्नत करते हुए विनियमती कर दिया गया। वहीं, मेरे द्वारा भी निर्धारित न्यूनतम अर्हता पूरी की जा रही थी। उसके उपरांत भी मुझे श्रेणी (तृतीय) विनियमती नहीं किया गया।
इससे पूर्व में मेरे द्वारा सक्षम स्तर पर काई बार मौखिक रूप से सभी अधिकारियों एंव पूर्व कुलपति महोदय से श्रेणी (तृतीय) करने के लिए निवेदन किया गया था, परन्तु अभी तक किसी भी तरह की कार्यवाही नहीं की गयी। इसके साथ ही उन्होंने पत्र में लिखा है कि, तत्कालीन कुलपति महोदय के पत्रांकःअ०क०प्र०वि० / कुप०का० / 2018 / 9361 दिनांक 31 जनवरी, 2018 अवलोकन करना चाहे जिसमें उनके द्वारा बिन्दु 2 एंव 3 में स्वयं यह माना गया है कि विनियमित कर्मी पद के सापेक्ष कार्य कर रहे थे।
पढ़ें :- हम आवाज उठाते रहते हैं, हम डरने वाले नहीं हैं...प्रियंका गांधी का पीएम मोदी पर निशाना
साथ ही कहा कि, विश्वविद्यालय में प्रोन्नत की प्रक्रिया की जा रही। इसी के क्रम में कर्मी को भी तृतीय श्रेणी प्रोन्नत करने की कृपा करें, जिस तरह से उक्त तीनों कर्मियों को चतुर्थ श्रेणी से तृतीय श्रेणी में विनियमती कर दिया गया है। अन्यथा कि स्थिति में कर्मी माननीय उच्च न्यायलय जाने के लिए बाध्य होगा। बता दें कि, इससे पहले भी एकेटीयू के पूर्ण कुलपति पर गंभीर आरोप लग चुके हैं। ऐसे में विनियमितीकरण में धांधली को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।