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अभिनेत्री जूही चावला 5जी नेटवर्क के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंची, उठाया नागरिकों के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दा

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। अभिनेत्री-पर्यावरणविद अभिनेत्री जूही चावला ने 5जी वायरलेस नेटवर्क लागू करने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंची है। उन्होंने अपनी याचिका में दिल्ली के नागरिकों के लिए स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को उठाया है।

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बता दें कि अभिनेत्री जूही चावला एक लम्बे समय से मोबाइल टावरों से निकलने वाले हानिकारक रेडिएशन के खिलाफ लोगों में जागरुकता फैलाने की कोशिश करती रहीं हैं। इसे लेकर उन्होंने अब भारत में 5G टेक्नोलॉजी को लागू करने के खिलाफ एक याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में दायर की है जिसकी पहली सुनवाई आज यानि सोमवार को हो चुकी है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 2 जून को होगी।

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जूही चावला की ओर से दाखिल इस याचिका में मांग की है कि 5G टेक्नोलॉजी को लागू किये जाने से पहले इससे जुड़े तमाम तरह के अध्ययनों पर बारीकी से गौर किया जाए। फिर उसके बाद ही इस टेक्नोलॉजी को भारत में लागू करने के बारे में विचार किया जाए। बता दें कि जूही चावला ने अपनी इस याचिका में भारत सरकार के दूरसंचार मंत्रालय से आम लोगों, तमाम जीव-जंतुओं, वनपसस्तियों और पर्यावरण पर 5G टेक्नोलॉजी के लागू किये जाने से पड़ने वाले असर से जुड़े अध्ययन को बारीकी से कराने और ऐसे रिपोर्ट्स के आधार पर भी इसे भारत में लागू करने और नहीं करने को लेकर कोई फैसला करने की अपील की है।

जूही चावला ने कहा कि हम उन्नत किस्म के तकनीक को लागू किये जाने के खिलाफ नहीं हैं। इसके उलट हम टेक्नोलॉजी की दुनिया से निकलने वाले नवीनतम प्रोडक्ट्स को भरपूर लुत्फ उठाते हैं, जिनमें वायरलेस कम्युनिकेशन का भी समावेश है। हालांकि इस तरह के डिवाइजों को इस्तेमाल करने को लेकर हम हमेशा ही असमंजस की स्थिति में रहते हैं, क्योंकि वायरफ्री गैजेट्स और नेटवर्क सेल टावर्स से संबंधित हमारी खुद की रीसर्च और अध्ययन से ये पुख्ता तौर पर पता चलता है कि इस तरह की रेडिएशन लोगों के स्वास्थ्य और उनकी सुरक्षा के लिए बेहद हानिकारक है।

जूही चावला के प्रवक्ता ने एक आधिकारिक बयान में कि भारत में 5G टेक्नोलॉजी को लागू किये जाने से पहले RF रेडिएशन से मानव जाति, महिला, पुरुषों, व्यस्कों, बच्चों, शिशुओं, जानवरों, जीव-जंतुओं, वनस्पतियों और पर्यावरण पर पड़नेवाले प्रभावों को लेकर अच्छे से अध्ययन किया जाए। इससे संबंधित किये गये अथवा किये जानेवाले तमाम रिपोर्ट्स को सार्वजनिक किया जाए। प्रवक्ता का कहना है कि इस तरह के अध्ययन से स्पष्ट किया जाना जरूरी है कि क्या 5G टेक्नोलॉजी भारत की मौजूदा और आने वाली पीढ़ी के लिए सुरक्षित या नहीं । इसके बाद ही इसे लागू करने को लेकर विचार किया जाए।

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