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उमर अब्दुल्ला ने 2014 किया था पोस्ट ‘शांति बनाएं रखें, क्योंकि मैं वापस आऊंगा’, आज शपथ लेने के बाद लिखा ‘I’m back’

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार (Modi Government) ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 (Article 370 from Jammu and Kashmir) के प्रभाव को खत्म कर दिया था। इसके साथ ही राज्य को 2 हिस्सों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था और दोनों को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था। इसके बाद उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने 24, दिसंबर 2024 को सोशल मीडिया पर लिखा कि ‘शांति बनाएं रखें, क्योंकि मैं वापस आऊंगा’। यह वो लाइन है जिसको साकार करने के लिए उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah)  को नौ साल से अधिक समय का इंतजार करना पड़ा। यह लाइनें एक्स अकाउंट पर पोस्ट की थीं।

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उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah)  ने यह पोस्ट दोबारा 8, अक्तूबर 2024 यानी मतगणना वाले दिन रीट्वीट की थी। जो काफी वायरल हुई थी। इसके बाद आज मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद उन्होंने फिर एक पोस्ट की है, जिसमें अपनी फोटो साझा करते हुए लिखा है ‘मैं वापस आ गया हूं’। मुख्यमंत्री बनने तक का उनका सफर आसान नहीं था। चार महीने पहले ही उन्हें लोकसभा चुनाव में हार का भी सामना करना पड़ा था।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah)  ने बडगाम सीट पर पीडीपी के उम्मीदवार आगा सैयद मुंतजिर मेहदी के खिलाफ 18485 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। अब्दुल्ला ने कुल 36010 वोट प्राप्त किए थे, जबकि मेहदी को 17525 वोट ही मिले थे। साथ ही उमर अब्दुल्ला ने गांदरबल सीट भी अपने नाम की थी। यहां उन्होंने पीडीपी के उम्मीदवार बशीर अहमद मीर को शिकस्त दी थी।

लोकसभा चुनाव में हार का देखना पड़ा था मुंह

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लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तरी कश्मीर की बारामुला लोकसभा सीट से नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah)  को हार का सामना करना पड़ा था। इंजीनियर राशीद ने उन्हें हराया था। उन्होंने अब्दुल्ला को 2,04,142 वोटों के अंतर से हराया था। उमर को 2,68,339 वोट मिले थे।

बडगाम सीट छोड़ेंगे उमर अब्दुल्ला!

उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah)   के गांदरबल विधानसभा सीट पर कब्जा बरकरार रखने और बडगाम सीट खाली करने की संभावना है। सूत्रों का कहना है कि यह फैसला इसलिए लिया गया है कि गांदरबल उमर के लिए भावनात्मक रूप से काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वही निर्वाचन क्षेत्र है जहां से राज्य में उनकी राजनीतिक यात्रा शुरू हुई थी। इतना ही नहीं यह सीट अब्दुल्ला परिवार के लिए एक पुश्तैनी सीट भी रह चुकी है। यहां से उमर उससे पहले उनके पिता डॉ फारूक अब्दुल्ला और उससे पहले उनके दादा शेख मोहम्मद अब्दुल्ला नेतृत्व कर चुके हैं।

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