नई दिल्ली। पेरिस ओलंपिक (Paris Olympics) में दो कांस्य पदक जीतकर निशानेबाज मनु भाकर (Manu Bhaker) ने इतिहास रच दिया था। इसके बावजूद देश के सबसे बड़े खेल पुरस्कार मेजर ध्यानचंद खेल रत्न (Dhyanchand Khel Ratna Award) के लिए कथित तौर पर नामित नहीं होने वालीं शीर्ष पिस्टल निशानेबाज मनु भाकर (Top pistol shooter Manu Bhaker) के पिता ने इस पुरस्कार का अंतिम फैसला देश के लोगों पर छोड़ दिया है।
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विवाद तब शुरू हुआ जब राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों पर फैसला करने वाली समिति ने मनु के नाम की सिफारिश नहीं की और इसके बजाय भारतीय हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह (Indian Hockey Team Captain Harmanpreet Singh) का नाम खेल रत्न पुरस्कार (Khel Ratna Awards) के लिए आगे बढ़ाया। अब इस मामले पर मनु के पिता राम किशन (Ram Kishan) की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि मनु जानती हैं कि वह पुरस्कार की हकदार हैं, लेकिन इसका फैसला उन्होंने देश पर छोड़ दिया है।
टेलीकॉम एशिया स्पोर्ट (Telecom Asia Sport) के साथ एक इंटरव्यू में राम किशन ने मनु भाकर (Manu Bhaker) के हवाले से कहा कि उन्हें लगता है कि वह इसके लायक हैं। लेकिन वह चाहती हैं कि देश इसका फैसला करे। खेल मंत्रालय (Sports Ministry) ने कहा है कि 22 वर्षीय निशानेबाज ने खेल रत्न के लिए आवेदन नहीं किया था, लेकिन उनके परिवार का बयान इससे अलग है। मनु के पिता राम किशन ने टेलीकॉम एशिया स्पोर्ट (Telecom Asia Sport) से कहा कि वह पिछले चार साल से पद्म श्री जैसे विभिन्न पुरस्कारों के लिए आवेदन कर रही हैं। तो वह इस साल आवेदन क्यों नहीं करेंगी?’
पिता बोले- खारिज किए गए 49 आवेदन
राम किशन (Ram Kishan) के मुताबिक, पिछले कुछ वर्षों में मनु ने 49 नकद पुरस्कार आवेदन जमा किए थे, जिनकी वह हकदार थीं। हालांकि, सभी 49 आवेदनों को खारिज कर दिया गया था। उन्होंने कहा, ‘इतने शानदार प्रदर्शन के बावजूद अगर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न के लिए मनु का नाम नहीं सुझाया जाता तो फिर मुझे लगता है कि समिति में सब कुछ सही नहीं है या किसी आदेश का पालन किया जा रहा है। अगर हमें भारत को खेलों का केंद्र बनाना है तो फिर भी ओलंपिक पदक विजेताओं और ओलंपियनों को सम्मान देना चाहिए और उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए न कि उन्हें इस तरह के फैसलों से हतोत्साहित करना चाहिए।’
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मनु भाकर ने पेरिस में रचा था इतिहास
मनु भाकर (Manu Bhaker) ने पेरिस ओलंपिक खेलों में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला निशानेबाज बनकर इतिहास रच दिया था। उन्होंने सरबजोत सिंह के साथ मिश्रित 10 मीटर एयर पिस्टल टीम स्पर्धा में एक और एक कांस्य पदक एकल स्पोर्ट्स में जीता था। यह पहली बार है जब किसी भी भारतीय ने आजादी के बाद से एक ही ओलंपिक में दो पदक जीते हैं।
साल की शुरुआत में मनु भाकर आई थीं विवादों में
साल की शुरुआत में भाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करके विवादों के घेरे में आ गई थीं। उन्होंने सवाल किया था कि क्या वह खेल रत्न पुरस्कार (Khel Ratna Award) की हकदार हैं? पोस्ट ने विवादों को तूल दिया था। आलोचकों ने इसे अनुचित माना था। बाद में भाकर को इसे हटाने के लिए मजबूर होना पड़ा था। उस विवाद के बावजूद अब खेल रत्न सम्मान (Khel Ratna Award) के लिए उम्मीदवारों की सूची से उनका नाम गायब होने से उनके समर्थक नाराज हैं।
पेरिस में मनु ने आलोचकों का बंद किया मुंह
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पेरिस में इस 22 वर्षीय निशानेबाज के प्रदर्शन न वर्षों के दृढ़ संकल्प और दृढ़ता को परिभाषित किया था। खासकर 2020 टोक्यो ओलंपिक के दिल टूटने वाले अभियान के बाद उन्होंने जबरदस्त वापसी की थी। टोक्यो में पिस्टल की खराबी ने उनके अभियान को पटरी से उतार दिया था। कई लोगों ने उनकी वापसी करने की क्षमता पर संदेह किया था, लेकिन भाकर ने पेरिस में शानदार वापसी के साथ अपने आलोचकों को चुप करा दिया।
मनु की उपलब्धियां
उनकी उपलब्धियां ओलंपिक पोडियम तक ही सीमित नहीं हैं। भाकर राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। उन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था और उन खेलों का रिकॉर्ड भी बनाया था। साथ ही 2022 एशियाई खेलों में महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल टीम स्पर्धा में जीत हासिल की थी।