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महाकाल को लगने लगी गर्मी….इसलिए प्रवाहित होगी शीतल जलधारा

By Shital Kumar 
Updated Date

उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध ज्योर्तिलिंग महाकाल को गर्मी लगने लगी है इसलिए उन पर 12 अप्रैल से शीतल जलधारा सतत रूप से प्रवाहित की जाएगी। गौरतलब है कि वैशाख मास में महाकाल मंदिर में परंपरा अनुसार गलंतिका अर्थात मिट्टी के कलश बांधे जाकर ठंडा जल प्रवाहित किया जाता है। इस बार 12 अप्रैल से यह परंपरा निर्वहन की जाएगी।

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दो माह गलंतिका बांधने की परंपरा है

मंदिर की परंपरा में वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से ज्येष्ठ पूर्णिमा तक दो माह गलंतिका बांधने की परंपरा है। प्रतिदिन भस्म आरती के बाद सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक गलंतिका बांधी जाएगी। पं.महेश पुजारी ने बताया, ज्योतिर्लिंग की पूजन परंपरा में वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से भीषण गर्मी की शुरुआत मानी जाती है। समुद्र मंथन के समय भगवान शिव ने कालकूट विष का पान किया था।

शिव प्रसन्न होते हैं तथा जगत का कल्याण करते हैं

गर्मी में विष की उष्णता अर्थात गर्मी और बढ़ जाती है। इसलिए भीषण गर्मी के दो माह वैशाख व ज्येष्ठ माह में गलंतिका बांधने का विधान है। भगवान के शीश मिट्टी के कलशों से दिनभर शीतल जल धारा प्रवाहित की जाती है। इससे शिव प्रसन्न होते हैं तथा जगत का कल्याण करते हैं। वैशाख मास में शिव मंदिरों में भगवान शिव की प्रसन्नता व उन्हें शीतलता प्रदान करने के लिए गलंतिका बांधने का विशेष महत्व है।

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