Makar Sankranti Daan : मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है। वस्तुओं के दान की भी विशेष परंपरा है। मकर संक्रांति तब मनाते हैं, जब ग्रहों के राजा सूर्य देव शनि महाराज की राशि मकर में गोचर करते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार , इस वर्ष मकर संक्रांति का त्योहार मंगलवार, 14 जनवरी 2025 को है। इस दिन पुण्य काल में किए गए जप, तप, दान पुण्य, स्नान, श्राद्ध तर्पण का फल कई गुना अधिक फल मिलता है।
पढ़ें :- Mahakumbh 2025 : स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती से दीक्षा लेकर दो युवा प्रतिभाओं ने ग्रहण किया संन्यास, सनातन की सेवा का संकल्प लिया
तिल और खिचड़ी का सेवन भी जरूर करें
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक मकर संक्रांति पर ग्रह गोचर और खिचड़ी का विशेष महत्व है। इस दिन जो खिचड़ी बनाई जाती है उसका संबंध किसी न किसी ग्रह से रहता है। जैसे खिचड़ी में इस्तेमाल होने वाले चावल का संबंध चंद्रमा से होता है। खिचड़ी में डाली जाने वाली उड़द की दाल का संबंध शनिदेव, हल्दी का संबंध गुरु देव से और हरी सब्जियों का संबंध बुध देव से माना गया है। इसके अलावा खिचड़ी में घी का संबंध सूर्य देव से होता है। इसलिए मकर संक्रांति की खिचड़ी को बेहद खास माना जाता है। इस दिन गुड़, तिल और खिचड़ी का सेवन भी जरूर करें।
मकर संक्रांति पर करें राशि अनुसार दान
राशि के अनुसार करें वस्तुओं का दान
मेष: मीठा गुड़, मूंगफली, तिल गुड़ के साथ
वृषभ : चावल, दही, सफेद कपड़ा, तिल की मिठाई
मिथुन: चावल, कम्बल सफेद और हरा, मूंग दाल
कर्क: चांदी, सफेद तिल या कपूर
सिंह: तांबा, गेहूं तिल मीठा
कन्या: हरे रंग का कंबल, खिचड़ी (चावल और दाल)
तुला: चीनी, सफेद कपड़ा या खीर या कपूर
वृश्चिक: लाल कपड़ा या तिल
धनु: पीला कपड़ा या सोने की वस्तु (पटीसा)
मकर: काला कंबल, काला तिल या चाय
कुंभ: खिचड़ी, तिल या राजमा
मीन: रेशमी कपड़ा, चना, दाल या तिल