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Nuh Mahapanchayat : Rakesh Tikait बोले- अगर हम खालिस्तानी और पाकिस्तानी तो वे ‘सरकारी तालिबानी’ हैं

By संतोष सिंह 
Updated Date

हरियाणा।  हरियाणा (Haryana) के नूंह में रविवार को आयोजित किसान महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) में भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने महापंचायत (Mahapanchayat) में मौजूद लोगों से पूछा कि क्या हम खालिस्तानी (Khalistani)  हैं? सरकार ने हमें खालिस्तानी (Khalistani) कहा है। अगर हम खालिस्तानी व पाकिस्तानी (Pakistani)  हैं, तो यहां सरकारी तालिबानियों (Talibanis) का देश पर कब्जा हो चुका है। उनका पहला कमांडर आईएस के रूप में देश को मिल गया है।

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राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा कि बीते शनिवार को एक अधिकारी ने पुलिसकर्मियों (policemen) को किसानों के सिर पर हमला करने का आदेश दिया है। वे हमें खालिस्तानी कहते हैं। अगर आप हमें खालिस्तानी और पाकिस्तानी कहेंगे, तो हम कहेंगे कि ‘सरकारी तालिबानी’ (Sarkari Talibanis) ने देश पर कब्जा कर लिया है।  उन्होंने कहा कि किसानों का सिर फोड़ने की बात कहने वाले अधिकारियों को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात किया जाए। वह आईएएस अधिकारी (करनाल एसडीएम आयुष सिन्हा) ‘सरकारी तालिबानी’ के कमांडर हैं।

दोगुनी कीमतों पर फसल बेचना शुरू करेंगे

वहीं इससे पहले राकेश टिकैत (Rakesh Tikait)  ने कहा कि किसान आंदोलन अब कृषि कानूनों के खिलाफ न रहकर देश बचाने का आंदोलन बन गया है। पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर की राष्ट्रीय किसान महापंचायत (National Farmers Mahapanchayat) से यूपी के साथ मिशन देश शुरू करेंगे। सरकारी संपत्तियों को निजी हाथों में सौंपने का पुरजोर विरोध किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2022 में किसानों की आय दोगुना होने की घोषणा के अनुसार किसान एक जनवरी से अपनी फसल दोगुनी कीमतों पर बेचना शुरू कर देंगे।

किसानों को खालिस्तान, जाटलैंड के नाम पर बांटना बंद करें

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सरकार इसके लिए अपनी तैयारी कर ले। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों को खालिस्तान, जाटलैंड के नाम पर बांटना बंद करे। अगर किसान खालिस्तानी हैं तो दिल्ली में बैठी सरकार तालिबानी है। सरकार में बैठे लोग बंदूक के जरिए देश पर कब्जा जमाना चाहते हैं। पंजाब में जिसकी सरकार बनेगी, उसके दरवाजे पर ही लठ गाड़ देंगे, किसान अपने आंदोलन को मजबूत रखें।

किसान अब धरने से उठने वाला नहीं

दिल्ली की सीमाओं पर बैठा किसान अब धरने से उठने वाला नहीं है। नए कानून वापस लेकर एमएसपी (MSP)  की गारंटी का कानून बनाना पड़ेगा। अभी पंजाब में आचार संहिता (Code of conduct) नहीं लगी है, चुनाव लड़ना है या नहीं जब चुनाव की घोषणा हो जाएगी तभी बताएंगे। गुरनाम चढूनी का पंजाब चुनाव लड़ने का फैसला अपना निजी स्टैंड है। किसान जिससे खुश हो, उसे वोट दे दें।

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