भोपाल। मध्यप्रदेश में अब सरकार अफसर मनमानी की सरकारी गाड़ियों में नहीं चल सकेंगे अर्थात जो गाइड लाइन तय हुई है उसके अनुसार कलेक्टर या एसपी स्तर के अधिकारी दस लाख रूपए से अधिक की कीमत के वाहन में सफर नहीं कर पाएंगे। बता दें कि अभी तक अधिकारीवर्ग मनमाने तौर से नये वाहनों की खरीदी करते रहे है लेकिन अब वित्त विभाग ने सभी सरकारी विभागों में नये वाहनों की खरीदी के लिए नई गाइड लाइन जारी की है।
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वित्त विभाग ने नए वाहनों की खरीदी और वाहन बदलने को लेकर गाइडलाइन जारी की है। जिसमें अधिकारियों के वेतनमान के आधार पर गाड़ियों की अधिकतम कीमत का निर्धारण किया है। गाइडलाइन के मुताबिक उपसचिव और अपर सचिव स्तर के आईएएस, आईपीएस, आईएफएस अधिकारी अब तय सीमा से अधिक कीमत के वाहन का उपयोग नहीं कर सकेंगे। विभाग ने अखिल भारतीय सेवा के इन अफसरों का सातवें वेतन मान के आधार पर वेतन मैट्रिक्स तय कर गाड़ियों की कीमतें तय की हैं। ऐसे में इन अधिकारियों द्वारा उपयोग की जा रही लग्जरी गाड़ियों के उपयोग पर बैन की स्थिति बन सकती है।
वाहन खरीदना है तो प्रस्ताव भेजें
वित्त विभाग ने नए वाहनों की खरीदी और वाहन बदलने को लेकर भी निर्देश जारी किए हैं। वाहन की कमी होने पर विभाग उपलब्ध बजट का उल्लेख करते हुए वित्त विभाग को जानकारी देंगे। पहले से उपलब्ध वाहन की निर्धारित अवधि पूरी होने के आधार पर वित्त विभाग परमिशन देगा। वित्त विभाग ने सभी विभागाध्यक्षों, कलेक्टरों, संभागीय आयुक्तों को इस संबंध में जारी निर्देश का पालन करने को कहा है। आमतौर पर अखिल भारतीय सेवा में उप सचिव (सातवें वेतन मान के अंतर्गत वेतन मैट्रिक्स लेवल 12) या अपर सचिव (वेतन मैट्रिक्स लेवल-13) स्तर के जिला कलेक्टर के लिए भी गाड़ी की कीमत तय की गई है। उपसचिव वेतनमान वाले आईएएस को 7 लाख तक पेट्रोल, डीजल, सीएनजी और 10 लाख तक ईवी की पात्रता होगी। अपर सचिव वेतनमान वाले आईएएस अफसर दस लाख रुपए कीमत वाले पेट्रोल, डीजल, सीएनजी या हाइब्रिड वाहन का उपयोग कर सकेंगे। इलेक्ट्रिक वाहन में यह लिमिट 15 लाख होगी। मैट्रिक्स लेवल की यही स्थिति पुलिस महकमे में एसपी, डीआईजी स्तर और वन महकमे में डीएफओ, एसीएफ स्तर के अधिकारियों पर लागू होगी।