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आरएसएस प्रमुख के बयान पर स्वामी प्रसाद मौर्य बोले-जहां-जहां भाजपा की सरकारें हैं वहां आरक्षण निष्प्रभावी और शून्य किया जा रहा

By शिव मौर्या 
Updated Date

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण वाले बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि, आपने सच स्वीकारा किन्तु खेद है, देश में और देश के तमाम प्रदेशो में आपके ही संरक्षण में सरकार चल रही है। जहां-जहां भाजपा की सरकारें हैं, अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों का आरक्षण निष्प्रभावी और शून्य किया जा रहा है। दरअसल, बीते ​दिनों आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि समाज में जब तक भेदभाव है, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए।

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गुरुवार को स्वामी प्रसाद मौर्य ने उनके इसी बयान को लेकर ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा कि, आरएसएस प्रमुख, मोहन भागवत जी, यद्दपि की आपने सच स्वीकारा किन्तु खेद है, देश में और देश के तमाम प्रदेशो में आपके ही संरक्षण में सरकार चल रही है। जहां-जहां भाजपा की सरकारें हैं, अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों का आरक्षण निष्प्रभावी और शून्य किया जा रहा है। लिटरल इंट्री के नाम पर आईएएस के चयन में भी एससी, एसटी, ओबीसी का आरक्षण शून्य है।

उन्होंने कहा कि, अगर यही बात हम कहते हैं तो आपकी टीम के लोग मुझे जान से मारने, हत्या करने, जीभ काटने, हाथ काटने, नाक-कान काटने व अपमानित करने हेतु सुपारी देतें हैं। आज भी भेदभाव का नंगा-नाच जग जाहिर है। आदिवासी, दलित, समाज से आने वाले दो दो राष्ट्रपतियों को मंदिर में जाने से रोककर अपमानित करने का घिनौना कृत्य किया गया, यहां तक कि नये संसद भवन के उद्घाटन में वर्तमान राष्ट्रपति की घोर उपेक्षा की गई।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने लिखा कि, पूर्व मुख्यमंत्री, अखिलेश यादव जी द्वारा मुख्यमंत्री आवास 5, कालिदास मार्ग खाली करने पर बीजेपी द्वारा गोमूत्र और गंगाजल से धोया गया क्योंकि वो पिछड़े समाज से हैं। आये गये दिन जातीय आधार पर कहीं पेशाब करना, कहीं जबरियन मल लेप करना और कहीं-कहीं सवर्ण शिक्षको द्वारा बुरी तरह पिटाई कर सम्बंधित छात्रों को मौत के घाट उतरना आम प्रचलन बनता जा रहा है। अच्छा होता है यदि आप मंच से अपील करने के बजाय मा. प्रधानमंत्री व भाजपा शासित प्रदेशो के सभी मुख्यमंत्रियो की बैठक कर इस बात को कहते तो शायद एसटी, एससी, ओबीसी के आरक्षण से हो रहे खिलवाड़ और उनके साथ हो रहे भेदभाव पर विराम लग सकता था। फिर भी आपने सच स्वीकारा किन्तु आपका सच “पर उपदेश कुशल बहुतेरे” जैसा ही हास्यास्पद है।

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