नई दिल्ली । देश की राजधानी नई दिल्ली में कॉन्स्टिट्यूशन क्लब (Constitution Club) में “क्या खुदा का अस्तित्व है?” विषय पर द लल्लनटॉप एक कार्यक्रम आयोजित किया। इस विषय पर देश के मशहूर शायर और गीतकार जावेद अख्तर (Javed Akhtar) और इस्लामी विद्वान मुफ्ती शमाइल नदवी (Islamic scholar Mufti Shamail Nadvi) के बीच हुई तीखी बहस ने न सिर्फ सभागार को खचाखच भर दिया, बल्कि इसके बाद सोशल मीडिया पर बड़ी बहस छेड़ दी है। करीब दो घंटे चली इस चर्चा ने आस्था, तर्क, नैतिकता और मानव पीड़ा जैसे मुद्दों को केंद्र में ला दिया।
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इस दुर्लभ अवसर पर स्वयं को नास्तिक बताने वाले बुद्धिजीवी और एक धार्मिक विद्वान आमने-सामने सार्वजनिक मंच पर तर्क करते दिखे। जहां जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने अपनी दलीलों में गाजा युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर खुदा सर्वव्यापी और दयालु है, तो वह वहां हो रही तबाही को कैसे अनदेखा कर सकता है? उन्होंने कहा कि अगर आप सर्वशक्तिमान हैं और हर जगह मौजूद हैं, तो गाजा में भी होंगे। वहां बच्चों के चीथड़े उड़ते आपने देखे होंगे। फिर भी आप चाहते हैं कि मैं आप पर विश्वास करूं? उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि उसके मुकाबले हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेहतर हैं, कुछ तो ख्याल करते हैं।
धार्मिक हिंसा (Religious Violence) का जिक्र करते हुए जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने सवाल उठाया कि आखिर खुदा के नाम पर सवाल पूछना क्यों बंद कर दिया जाता है? उन्होंने कहा कि किस तरह का खुदा है जो बच्चों को बमों से मरने देता है? अगर वह मौजूद है और यह सब होने देता है, तो न हो तो भी बेहतर है।
मुफ्ती नदवी ने दिया ये जवाब
मुफ्ती शमाइल नदवी (Mufti Shamail Nadvi) ने खुदा को निर्दोष बताया। कहा कि बुराई का कारण मानव की स्वतंत्र इच्छा है, न कि खुदा। उन्होंने कहा कि खुदा ने बुराई को पैदा किया है, लेकिन वह स्वयं बुरा नहीं है। हिंसा, बलात्कार या अन्य अपराध इंसान के चुनाव का नतीजा हैं। उन्होंने यह भी कहा कि खुदा के अस्तित्व पर बहस में विज्ञान और धर्मग्रंथ कोई साझा मापदंड नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि विज्ञान भौतिक दुनिया तक सीमित है, जबकि खुदा उससे परे है।
मुफ्ती नदवी (Mufti Nadvi) ने यह भी तर्क दिया कि विज्ञान यह बता सकता है कि ब्रह्मांड कैसे काम करता है, लेकिन यह नहीं कि उसका अस्तित्व क्यों है? उन्होंने जावेद अख्तर से कहा कि अगर आपको नहीं पता, तो यह मत कहिए कि खुदा नहीं है।
विश्वास बनाम आस्था पर टकराव
बहस का एक अहम मोड़ विश्वास (Belief) और आस्था (Faith) के फर्क पर सामने आया है। जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने कहा कि विश्वास सबूत, तर्क और गवाही पर आधारित होता है, जबकि आस्था बिना प्रमाण स्वीकार करने की मांग करती है। उन्होंने कहा कि जहां न सबूत है, न तर्क और न कोई गवाह, फिर भी अगर आपसे मानने को कहा जाए, वही आस्था है।
उन्होंने चेताया कि ऐसी सोच सवाल पूछने से रोकती है। नैतिकता के मुद्दे पर जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने कहा कि नैतिकता प्रकृति की नहीं, बल्कि इंसानों की बनाई हुई व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि प्रकृति में कोई न्याय नहीं होता। नैतिकता ट्रैफिक नियमों जैसी है। समाज के लिए जरूरी, लेकिन प्रकृति में मौजूद नहीं।
कार्यक्रम खत्म होते ही यह बहस सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगी। कुछ लोगों ने जावेद अख्तर (Javed Akhtar) के सवालों को साहसी और जरूरी बताया, तो कई ने इसे धार्मिक आस्थाओं पर हमला करार दिया। वहीं, मुफ्ती शमाइल नदवी को उनके संयमित और दार्शनिक जवाबों के लिए समर्थन मिला।