नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) पर उनके तीसरे कार्यकाल की पहली विदेश यात्रा को लेकर कांग्रेस ने गुरुवार को कटाक्ष किया है। कांग्रेस ने कहा कि वह इस साल के जी7 शिखर सम्मेलन (G7 Summit) में ‘अपनी कमजोर हुई अंतरराष्ट्रीय छवि को बचाने’ के लिए इटली जा रहे हैं। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश (Congress General Secretary Jairam Ramesh) ने कहा कि ‘अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, इटली, ब्रिटेन और जापान के राष्ट्राध्यक्षों का जी7 शिखर सम्मेलन (G7 Summit) 1970 के दशक के उत्तरार्ध से हो रहा है। उन्होंने बताया कि 1997 से 2014 के बीच रूस भी इसका सदस्य था। रमेश ने कहा कि 2003 से भारत, चीन, ब्राजील, मैक्सिको और दक्षिण अफ्रीका को भी जी7 शिखर सम्मेलनों (G7 Summit) में आमंत्रित किया गया है।
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उन्होंने कहा कि भारत के दृष्टिकोण से जी7 शिखर सम्मेलनों (G7 Summit) में सबसे प्रसिद्ध जून 2007 में जर्मनी के हेलिगेंडम में हुआ था, क्योंकि यहीं पर वैश्विक जलवायु परिवर्तन वार्ता में समानता सुनिश्चित करने के लिए प्रसिद्ध सिंह-मर्केल फॉर्मूला पहली बार दुनिया के सामने पेश किया गया था। रमेश ने कहा कि इस पर अभी भी चर्चा होती है। डॉ. मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) और जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल (German Chancellor Angela Merkel) ने इतिहास रच दिया। डॉ. मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) खोखले आत्म-प्रशंसा के माध्यम से नहीं, बल्कि ठोस आधार पर वैश्विक दक्षिण की आवाज बनकर उभरे।’ कांग्रेस महासचिव ने कहा कि निश्चित रूप से हमारे ‘एक तिहाई’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) से यह अपेक्षा करना बहुत ज्यादा है कि वे इस इतिहास को जानें या स्वीकार करें, क्योंकि वे इस साल के शिखर सम्मेलन में अपनी कम होती अंतरराष्ट्रीय छवि को बचाने के लिए आज इटली जा रहे हैं।
पीएम मोदी (PM Modi) एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ गुरुवार को इटली जाएंगे। जहां वे 14 जून को शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्र में भाग लेंगे। तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा होगी। इटली के अपुलिया क्षेत्र में बोर्गो एग्नाज़िया के आलीशान रिसॉर्ट में 13 से 15 जून तक आयोजित होने वाले जी7 शिखर सम्मेलन (G7 Summit) में यूक्रेन में चल रहे युद्ध और गाजा में संघर्ष का मुद्दा छाया रहेगा।