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शहाबुद्दीन रजवी ने पाकिस्तानी सरकार को सुनाई खरी-खोटी, पीओके भारत का अभिन्न अंग

By संतोष सिंह 
Updated Date

बरेली। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात (All India Muslim Jamaat) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी (National President Maulana Mufti Shahabuddin Razvi) ने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में आजकल रोजाना धरना प्रदर्शन हो रहे हैं। बीते दिनों एक अंतरराष्ट्रीय शायर को आतंकवादी घोषित किए जाने के बाद इस्लामाबाद की हाईकोर्ट (Islamabad High Court) ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया। पाकिस्तानी सरकार (Pakistani Government) को कोर्ट ने फौरी गिरफ्तारी का आर्डर दिया।

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कोर्ट में पाकिस्तान के अटार्नी जनरल ने हलफनामा दाखिल किया, जिसमें कहा गया है कि पीओके विदेशी टेरिटरी है। हम उस व्यक्ति को गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश नहीं कर सकते हैं। इस हलफनामे पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Prime Minister Shahbaz Sharif) , नवाज शरीफ और विपक्षी नेता खामोश हैं। इससे स्पष्ट होता है कि पाकिस्तानी नेताओं ने खामोशी के साथ इस सच्चाई को मान लिया है कि पीओके भारत का हिस्सा है। अब पीओके की जनता इस बात की गुहार लगा रही है कि भारत का रास्ता खोल दिया जाए और अब हम भारत के साथ उसका अंग बनकर रहेंगे।

‘अपनी नाकामियां छिपा रही पाकिस्तानी सरकार’

मौलाना ने कहा कि पीओके (POK) में रोजाना हो रहे धरना प्रदर्शन के पीछे पाकिस्तानी फौज के जनरल असीम मुनीर और सांसद मौलाना फजलुर रहमान जैसे कट्टरपंथी विचारधारा वाले लोग भारत का हाथ बता रहे हैं। ये भी कह रहे हैं कि पीओके (POK) के लोगों को भारत सरकार भड़का रही है। जबकि पीओके (POK) के लोगों के धरना प्रदर्शन से भारत का कोई लेना-देना नहीं है। पाकिस्तान की सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए भारत सरकार पर आरोप लगा रही है। मगर पीओके (POK) की तस्वीर को पूरी दुनिया के लोग देख रहे हैं और समझ भी रहे हैं। अगर भारत जिस दिन चाहे 24 घंटे के अंदर पीओके (POK) में भारतीय तिरंगा लहरा जाएगा। मगर भारतीय सरकार की सहनशक्ति के साथ काम करती है। इसका नजरिया दोतरफा बातचीत का रहता है।

शहाबुद्दीन रजवी (Shahabuddin Razvi) ने कहा कि पीओके (POK) के मुसलमान अपने अधिकारों, फौज के जुल्म-ज्यादतियों और महंगाई के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। अपने मूल अधिकारों के हनन पर आंदोलन करने वालों पर पाकिस्तानी फौज का गोली चलाना घोर निंदनीय कार्य है। उन्होंने कहा कि निहत्थे लोगों पर गोली चलाना या अत्याचार करना इस्लाम इजाजत नहीं देता है। ये एक तरफ इंटरनेशनल कानून का उल्लघंन है और दूसरी तरफ शरीयत की नजर में भी बहुत बड़ा जुर्म है।

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