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स्क्वाड्रनों की गंभीर कमी से जूझ रही है वायुसेना, कैग-संसदीय समिति की रिपोर्ट में पायलटों की कमी और सही ट्रेनिंग न मिलने का किया जिक्र

By संतोष सिंह 
Updated Date

Air Force

नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) पायलटों की भारी कमी जूझ रही है। अगर अचानक युद्ध हो जाए तो इंडियन एयरफोर्स के पास पायलट कम हैं। ये खुलासा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने 19 दिसंबर को संसद में पेश रिपोर्ट में भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के पायलटों के प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण कमियों को उजागर किया है। रक्षा मामलों की संसदीय समिति (Parliamentary Committee on Defence Affairs) ने कहा कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता का विषय है। कैग रिपोर्ट ने इंडियन एयरफोर्स में पायलटों की कमी के आंकड़ें बताए हैं। फरवरी 2015 में 486 पायलटों की कम थी। जो 2021 के अंत तक 596 हो गई। जबकि 2016 से 2021 के बीच 222 ट्रेनी पायलटों को भर्ती करने का प्लान था, लेकिन वायुसेना टारगेट अचीव नहीं कर पाई। अब स्थिति गंभीर हो गई है।

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भारतीय वायुसेना में फाइटर जेट्स की स्क्वॉड्रन में कमी खतरनाक

देश के ऊपर दो तरफ से एक साथ हमले का खतरा हमेशा बरकरार है। ऐसे में भारतीय वायुसेना में फाइटर जेट्स की स्क्वॉड्रन में कमी खतरनाक है। रक्षा मामलों की संसदीय समिति ने इस बात पर जोर दिया है कि तेजी से Tejas Mk1A फाइटर जेट का प्रोडक्शन बढ़ाया जाए। क्योंकि इस फाइटर जेट की सख्त जरूरत है। ताकि देश के सीमाओं के नजदीक इसकी तैनाती की जा सके। खासतौर से चीन और लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के आसपास।

रक्षा मामलों की संसदीय समिति ने तेजस एमके1ए लड़ाकू जेट विमानों के उत्पादन में तेजी लाने का किया आग्रह

संसदीय समिति ने कहा कि जब दो तरफ से हमले का खतरा हो तब भारतीय वायुसेना के ऑपरेशनल कमी को तत्काल पूरा करना चाहिए। ताकि इंडियन एयरफोर्स स्ट्रैटेजिक लेवल पर आगे रह सके। तेजस स्वदेशी है। इसे राडार में आसानी से पकड़ा नहीं जा सकता। क्योंकि ये आकार में छोटा है। इसे कैप्चर करना आसान नहीं है। भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) की कम होती स्क्वाड्रन ताकत को दूर करने के लिए रक्षा मामलों की संसदीय समिति ने तेजस एमके1ए लड़ाकू जेट विमानों के उत्पादन में तेजी लाने का आग्रह किया है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा वितरण में देरी के कारण एयरफोर्स की ऑपरेशनल तैयारी प्रभावित हो रही है।

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42 स्क्वाड्रनों की आवश्यकता है, वर्तमान में केवल 31 हैं सक्रिय

समिति के अध्यक्ष बीजेपी सांसद राधा मोहन सिंह (Committee Chairman BJP MP Radha Mohan Singh) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वायुसेना वर्तमान में लड़ाकू स्क्वाड्रनों में गंभीर कमी का सामना कर रही है। जबकि वायुसेना को पाकिस्तान और चीन के साथ दो-मोर्चे के खतरे का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए 42 स्क्वाड्रनों की आवश्यकता है। वर्तमान में केवल 31 सक्रिय स्क्वाड्रनों का संचालन करती है। हर एक में 16-18 विमान हैं। नए एयरक्राफ्ट्स के आने और पुराने को हटाने में समय लग रहा है। इन सबकी वजह से भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) की एरियल कॉम्बैट कैपेबिलिटी कमतर होती चली जाएगी। कैग और संसदीय समिति की रिपोर्ट ने तत्काल और तेजी से इन दोनों दिशाओं की तरफ सरकार को कदम उठाने को कह चुकी है। साथ ही रक्षा मंत्रालय को भी।

83 तेजस एमके1ए जेट विमानों की डिलीवरी में देरी ने इस मुद्दे को और भी बढ़ा दिया

83 तेजस एमके1ए जेट विमानों की डिलीवरी में देरी ने इस मुद्दे को और भी बढ़ा दिया है। जिसकी लागत 48,000 करोड़ रुपए है। मार्च से डिलीवरी शुरू होने वाली थी, लेकिन अभी तक एक भी जेट वितरित नहीं हुआ है। समिति ने HAL और MOD से उत्पादन को प्राथमिकता देने का आग्रह किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वायुसेना की क्षमताएं और अधिक प्रभावित न हों।

ऐसी खतरनाक स्थिति में पुराने विमान रिस्की

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पुराने विमानों से ऐसी स्थिति से नहीं निपटा जा सकता। वायुसेना अगले साल सोवियत-युग के मिग-21 जेट विमानों की दो स्क्वाड्रनों को हटाने वाली है। जबकि जगुआर, मिराज-2000 और मिग-29 जैसे अन्य विमानों को 2029-30 तक हटाएगी। इससे लगभग 250 लड़ाकू जेट विमानों की और कमी हो सकती है। ये 1980 के दशक में शामिल किए गए थे।

2013 और 2021 के बीच 38 इंजन ऑयल लीक की हुईं घटनाएं

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) रिपोर्ट में 2016-2021 को कवर करने वाले प्रदर्शन ऑडिट में पुराने उपकरणों और बेसिक ट्रेनर विमान, पिलाटस पीसी-7 एमके-II में इंजन ऑयल लीक सहित गंभीर समस्याओं को चिन्हित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, 64 पिलाटस पीसी-7 एमके-II विमानों में से 16 (25 प्रतिशत) ने 2013 और 2021 के बीच 38 इंजन ऑयल लीक की घटनाएं हुईं थीं। भारतीय वायुसेना ने निर्माता के साथ इस मुद्दे को उठाया और अगस्त 2023 तक मामले की जांच की बात कही गई थी। भारतीय वायुसेना की विमान आधुनिकीकरण योजनाओं में देरी के कारण परिवहन और हेलीकॉप्टर क्षेत्रों के लिए ‘चरण 2’ और ‘चरण 3’ के पायलट प्रशिक्षण प्रभावित हुए हैं।

हेलीकॉप्टर पायलटों को पुराने एवियोनिक्स वाले पुराने प्लेटफॉर्म पर किया जाता है प्रशिक्षित 

हेलीकॉप्टर पायलटों को पुराने एवियोनिक्स वाले पुराने प्लेटफॉर्म पर प्रशिक्षित किया जाता है, जिससे Mi-17 V5 हेलीकॉप्टर जैसी ऑपरेशनल यूनिट के लिए अतिरिक्त रूपांतरण प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। ट्रांसपोर्ट पायलट प्रशिक्षण अभी भी पुराने डोर्नियर-228 विमानों पर निर्भर करता है जिनमें आधुनिक कॉकपिट नहीं होते हैं। सीएजी ने प्रशिक्षण सिमुलेटर की सीमाओं पर भी ध्यान दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि कैग टीम ने पिलाटस पीसी-7 एमके-II विमान के परिचालन का अध्ययन किया है, जिसका उपयोग मई 2013 से प्रशिक्षु पायलटों को ‘स्टेज-1’ उड़ान प्रशिक्षण देने के लिए बुनियादी प्रशिक्षक विमान के रूप में किया जा रहा है।

रिक्रूटमेंट प्रोसेस तेज , महिला भागीदारी बढ़ी

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वायुसेना ने एयरफोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट (AFCAT) और एयर फोर्स सेलेक्शन बोर्ड (AFSB) ने रिक्रूटमेंट प्रोसेस को तेज किया है। इसे डिजिटल कैंपेन दिशा के तहत नई शुरूआत दी गई है। वायुसेना सूत्र बताते हैं कि ट्रेनर एयरक्राफ्ट के ऑपरेशनल इश्यू, ट्रेनिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने और नई भर्तियों पर तेजी से काम चल रहा है। संसदीय समिति की रिपोर्ट में यह बात भी मेंशन की गई है कि वायुसेना अधिकारियों में अब 14 फीसदी महिलाएं हैं। उन्हें कॉम्बैट सर्विस में भी डाला जा रहा है। जिसमें महिला वायुसैनिक तेजी से बढ़ रही हैं। अग्निवीर वायु के तहत भी महिलाओं के भर्ती हो रही है।

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