मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने कहा कि भारत रत्न, पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण जैसे नागरिक सम्मान कोई उपाधि (टाइटल) नहीं हैं। ऐसे में इन्हें किसी के नाम के आगे या पीछे नहीं लगाया जा सकता है।
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कोर्ट ने यह बात बुधवार को एक याचिका के केस टाइटल में पद्म श्री लिखे जाने पर की। दरअसल जस्टिस सोमशेखर सुंदरेसन की बेंच याचिका की सुनवाई कर रही थी। इसमें 2004 में पद्म श्री से सम्मानित डॉ. शरद मोरेश्वर हार्डिकर भी एक पक्षकार थे। केस टाइटल में उनका नाम पद्म श्री डॉ. शरद मोरेश्वर हार्डिकर लिखा गया था। इस पर जज ने आपत्ति जताई। साथ ही कहा कि कानून के अनुसार ऐसा करना गलत है।
सुप्रीम कोर्ट के 1995 के फैसले का दिया हवाला
हाईकोर्ट ने 1995 में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ के फैसले का जिक्र किया। उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने स्पष्ट कहा था कि पद्म पुरस्कार और भारत रत्न उपाधि नहीं हैं और इन्हें नाम के आगे या पीछे इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
जस्टिस सुंदरेसन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत सभी पर लागू होता है। इसका सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने निर्देश दिया कि आगे की कानूनी कार्यवाही में सभी पक्ष और अदालतें इस नियम का पालन करें।
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3 श्रेणियों में दिया जाता है पद्म पुरस्कार
देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में शामिल पद्म पुरस्कार तीन श्रेणियों- पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण में प्रदान किए जाते हैं। ये पुरस्कार कला, समाज सेवा, साइंस, इंजीनियरिंग, बिजनेस, इंडस्ट्री, चिकित्सा, साहित्य, शिक्षा, खेल और सिविल सेवा जैसे विविध क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिए दिए जाते हैं।