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पूरा सिस्टम पिछड़े, दलितों और आदिवासियों के खिलाफ, ऐसा नहीं होता तो देश बड़ी कंपनियों के मालिकों की लिस्ट में इस वर्ग के लोग मिलते: राहुल गांधी

By शिव मौर्या 
Updated Date

नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद और नेता विपक्ष राहुल गांधी ने नई में संविधान रक्षक अभियान को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, नरेंद्र मोदी ने हिंदुस्तान का संविधान नहीं पढ़ा है। कुछ दिन पहले हमने तेलंगाना में जातिगत जनगणना से जुड़ा काम शुरू किया। इसमें जो सवाल पूछे जा रहे हैं, वो प्रदेश के दलितों, पिछड़ों, गरीबों ने मिलकर तय किए हैं। मतलब तेलंगाना की जनता ने सेंसस डिजाइन किया है। ये एक ऐतिहासिक कदम है। हमारी जहां भी सरकार होगी, हम इसी पैटर्न से जातिगत जनगणना करेंगे।

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उन्होंने आगे कहा, देश में जो भी आदिवासियों, दलितों और गरीबों की बात करता है, उसका माइक ऑफ हो जाता है। लेकिन..जितना चाहे माइक ऑफ कर लो, मुझे बोलने से कोई नहीं रोक सकता। साथ ही कहा, संविधान सिर्फ एक किताब नहीं है, ये हिंदुस्तान की हजारों साल की सोच है। इसमें गांधी जी, अंबेडकर जी, भगवान बुद्ध, फुले जी जैसे महान लोगों की आवाज है, लेकिन सावरकर जी की आवाज नहीं है।

संविधान में कहीं नहीं लिखा कि…हिंसा का प्रयोग करना चाहिए, किसी को मारना या डराना चाहिए और झूठ बोलकर सरकार चलानी चाहिए…ऐसा इसलिए क्योंकि संविधान सत्य और अहिंसा की किताब है। हिंदुस्तान में हर रोज आदिवासी, दलित, पिछड़े वर्ग का युवा इंजीनियर, डॉक्टर, वकील, IAS बनने का सपना देखता है। लेकिन सच्चाई यह है- देश का पूरा सिस्टम पिछड़े, दलितों और आदिवासियों के खिलाफ खड़ा है। अगर ऐसा नहीं होता तो देश की 200 बड़ी कंपनियों के मालिकों की लिस्ट में इस वर्ग के लोग मिलते।

राहुल गांधी ने आगे कहा, आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों को कहा जाता है कि देश आपका है, इसमें आपकी भागीदारी है। लेकिन अगर हम डाटा देखें, तो ये बिल्कुल झूठ साबित होता है। डाटा दिखाता है कि देश का पूरा बजट 90 लोगों के हाथ में है। इनमें से 3 दलित, 3 OBC और 1 आदिवासी वर्ग के लोग हैं। BJP-RSS ने आपके सामने एक दीवार खड़ी कर दी है, जिसे ये लोग हर दिन मजबूत करते जा रहे हैं। BJP के लोग आपकी जेब से पैसा निकालकर अमीरों की जेब में डाल रहे हैं और आपको सिर्फ खोखले सपने दिखा रहे हैं।

जातिगत जनगणना से हमें पता चलेगा कि देश में दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों की कितनी भागीदारी है? जातिगत जनगणना से देश का डाटा हमारे सामने होगा, जिससे विकास की परिभाषा पूरी तरह से बदल जाएगी। देश में जातिगत जनगणना से विकास की एक मजबूत नींव तैयार होगी।

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