UN report on Bangladesh Violence: पिछले साल बांग्लादेश में छात्रों के हिंसक प्रदर्शन ने दुनियाभर के देशों का ध्यान खींचा। इस प्रदर्शन के चलते पूर्व पीएम शेख हसीना को अपनी जान बचाने के लिए देश छोड़ना पड़ा। लेकिन, हसीना सरकार के तख्ता पलट के बावजूद बांग्लादेश में हालात सामान्य नहीं नजर आ रहे हैं। देश में बार-बार हसीना समर्थकों और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र ने बांग्लादेश में हुए हिंसक प्रदर्शन के लिए पूर्व पीएम शेख हसीना को ही जिम्मेदार ठहराया है।
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दरअसल, संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने बांगलादेश में 1 जुलाई से 15 अगस्त 2024 के बीच हुए घटनाओं की जांच की। जिसके बाद यूएन के मानवाधिकार कार्यालय ने अपनी बांगलादेश की पूर्व सरकार ने सत्ता बनाए रखने के लिए पिछले साल प्रदर्शनकारियों पर सुनियोजित हमले करवाए और हत्याएं हुईं। यह ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ हो सरकार है। जांच रिपोर्ट में दावा किया गया कि पीएम शेख हसीना की सरकार ने विरोध प्रदर्शनों का दमन किया। इस दौरान सैकड़ों गैरकानूनी हत्याएं की गईं।
रिपोर्ट में करीबी 1400 लोगों की मौत और हजारों लोगों के घायल होने का अनुमान लगाया है। साथ ही यूएन की रिपोर्ट में कहा गया कि सुरक्षा बलों ने हसीना सरकार का समर्थन किया और प्रदर्शनों को दबाने के लिए हिंसक तरीका अपनाया। इनमें महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा और बच्चों के खिलाफ अत्याचार भी शामिल थे। मारे गए अधिकांश लोग बांगलादेश के सुरक्षा बलों द्वारा की गई गोलीबारी में मारे गए। उनमें बच्चे भी शामिल थे। मृतकों में 12 से 13 प्रतिशत बच्चे शामिल रहे।
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने कहा, “पूर्व सरकार (शेख हसीना सरकार) की बर्बर प्रतिक्रिया सत्ता बनाए रखने की एक सुनियोजित और समन्वित रणनीति थी, जो जन विरोध का सामना कर रही थी। इस दौरान हजारों व्यक्तियों की हत्या, गिरफ्तारियां और यातनाएं राजनीतिक नेतृत्व और वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों की जानकारी में हुईं। बता दें कि बांगलादेश में सरकारी नौकरी में आरक्षण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। इस दौरान शेख हसीना से इस्तीफे की मांग शुरू हुई थी।
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