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UP Politics : सपा-कांग्रेस मिलकर लड़ेगी 2027 का यूपी विधानसभा चुनाव!,राहुल और अखिलेश ने कसी कमर

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) में बीजेपी को सबसे बड़ा झटका उत्तर प्रदेश से लगा है। यूपी (UP) में बीजेपी (BJP) के विजय रथ को ब्रेक लगाने का काम अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की जोड़ी ने कर दिखाया है। नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को तीसरी बार पीएम की कुर्सी पर बैठने के लिए बैसाखी की जरूरत पड़ी है। पीएम मोदी (PM Modi) एनडीए (NDA) के सहयोगी दलों के दम पर भले ही सरकार बनाने में कामयाब हो गए हों लेकिन सपा-कांग्रेस (SP-Congress) को सूबे में बीजेपी (BJP)  को मात देने का मंत्र मिल गया है। इसीलिए राहुल और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav)  दोनों ही 2027 के लिए अभी से ही कमर कस लिए हैं।

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यूपी में बीजेपी को मात देने के लिए अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कई सियासी प्रयोग किए, जिसमें 2017 में कांग्रेस से हाथ मिलाया। इसके बाद 2019 में बसपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा और 2022 में जातीय आधार वाले छोटे-छोटे दलों के साथ चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन कामयाब नहीं रहे। 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में सपा ने एक बार फिर से कांग्रेस के साथ गठबंधन किया। 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में एक बार फिर मैदान में उतरी और बीजेपी (BJP)  को करारी मात दी है। जबकि बीजेपी (BJP) अपना सियासी कुनबा पहले से भी काफी बड़ा करके चुनावी मैदान में उतरी थी।

2024 में यूपी 80 लोकसभा सीटों में से बीजेपी (BJP) ने 33 और उसके सहयोगी आरएलडी (RLD) ने 2 और अपना दल (एस) ने एक सीट जीती है। इंडिया गठबंधन (India Alliance) में शामिल सपा ने 37 सीटों पर जीत दर्ज की है। उसकी सहयोगी कांग्रेस 6 सीटें जीतने में कामयाब रही। इस तरह इंडिया गठबंधन (India Alliance)  को कुल 43 सीटें मिली हैं। इसके अलावा नगीना सीट से दलित नेता चंद्रशेखर आजाद जीते हैं। इस जीत से सपा और कांग्रेस दोनों के हौंसले बुलंद हैं। उन्हें 2027 में अपनी सत्ता की वापसी की उम्मीद दिखने लगी है।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव (SP Chief Akhilesh Yadav) ने 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) में 300 पार सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा है कि बीजेपी एक हार में ही निराश हो गई है। हम लोग तो कितनी बार हारे पर निराश नहीं हुए। यह स्थिति बताती है कि 2027 में हम सब एक होकर सपा को जीत दिलाएंगे। वहीं, राहुल गांधी ने भी रायबरेली में बड़ा सियासी संदेश दिया है। राहुल ने कहा कि इस बार तमिलनाडु, राजस्थान, यूपी, मणिपुर सब जगह कार्यकर्ता एक होकर लड़े। कांग्रेस पार्टी रायबरेली-अमेठी ही नहीं पूरे हिंदुस्तान में एक होकर लड़ी। यूपी में सपा का हर कार्यकर्ता कांग्रेस के कार्यकर्ता के साथ मिलकर एक साथ लड़ा।

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है जब इंडिया गठबंधन (India Alliance)  के हर दल का हर कार्यकर्ता एक साथ खड़े होकर चुनाव लड़ा। उन्होंने कहा कि पहले भी कई गठबंधन हुए हैं लेकिन पहले एक-दूसरे से शिकायत होती थी और एक-दूसरे के वोट ट्रांसफर नहीं होते थे। इस बार ऐसा नहीं हुआ और सब मिलकर लड़े ही नहीं बल्कि जीत दिलाने का काम किया है। राहुल गांधी (Rahul Gandhi)  ने यूपी से आए राजनीतिक नतीजों की तारीफ भी की और उसे आगे की भूमिका के लिए तैयार रहने के लिए कहा।

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उन्होंने कहा कि यूपी ने देश की राजनीति को स्पष्ट संदेश दिया है कि वह पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की नीतियों को पसंद नहीं करता है। देश की बदलती राजनीति का संदेश यूपी से ही जाएगा। अभी लड़ाई खत्म नहीं हुई है। देश की राजनीति को नया विजन देना है तो वह यूपी से ही जाएगा। ऐसे में साफ है कि राहुल ने बता दिया है कि यूपी आगे की राजनीति के लिए काफी अहम है। राहुल का इशारा 2027 के विधानसभा चुनाव को लेकर है। सपा के साथ गठबंधन कर इस बार चुनाव लड़ने से कांग्रेस की सीटें ही नहीं बढ़ीं बल्कि वोट फीसदी में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है।

सपा और कांग्रेस (SP-Congress)  के आपस में मिलकर चुनाव लड़ने का सियासी फायदा दोनों ही दलों को मिला है। कांग्रेस एक से बढ़कर 6 सीट पर पहुंच गई तो सपा भी पांच से बढ़कर 37 सीट के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। सपा-कांग्रेस (SP-Congress)  के साथ रहने से मुस्लिम वोटों में किसी तरह का बिखराव नहीं हुआ। इसके अलावा राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का संविधान बचाने और आरक्षण वाले नैरेटिव ने दलित वोटों को भी सपा के पाले में लाकर खड़ा कर दिया है। वहीं, अखिलेश यादव के पीडीए फॉर्मूले पर उम्मीदवार उतारने का सियासी लाभ इंडिया गठबंधन (India Alliance)  को मिला, क्योंकि गैर-यादव ओबीसी को टिकट दिया। इसके चलते बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग बिगड़ गई।

कांग्रेस और सपा (SP-Congress)के एक साथ आने की केमिस्ट्री भी जमीन पर दिखी है। इसके चलते माना जा रहा है कि सपा-कांग्रेस (SP-Congress) मिलकर 2027 का यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) लड़ सकती है। लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन (India Alliance) को मिली 43 लोकसभा सीटों की अगर विधानसभा चुनाव से तुलना करते हैं तो 215 सीटें हो रही हैं, जिसमें 185 सीट सपा और कांग्रेस को 30 सीटें मिल सकती है। वहीं, एनडीए गठबंधन को 180 सीटें मिल सकती हैं। एक लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें आती हैं। इस औसत के साथ यह आंकड़ा निकाला जा रहा है।

हालांकि, इंडिया गठबंधन (India Alliance) को जिन लोकसभा क्षेत्रों में जीत मिली है, उन क्षेत्र की पांच से औसतन चार सीट पर उसे बढ़त थी, जबकि एनडीए (NDA) को जिन सीट पर जीत मिली है। उसमें उसे तीन विधानसभा सीट पर बढ़त थी। इस लिहाज से देखने पर इंडिया गठबंधन (India Alliance) की सीटें बढ़कर 235 से भी ज्यादा हो रही हैं। लोकसभा के साथ अगर विधानसभा के चुनाव होते तो यूपी में बीजेपी की सत्ता बचनी मुश्किल हो जाती है। सीट ही नहीं बल्कि वोट शेयर में भी दोनों में काफी अंतर है। इसीलिए कांग्रेस और सपा (SP-Congress) के बीच राजनीतिक केमिस्ट्री बेहतर दिख रही है।

यूपी में मिली जीत के बाद कांग्रेस नेता अविनाश पांडेय (Congress leader Avinash Pandey) , अजय राय और आरधना मिश्रा ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव (SP chief Akhilesh Yadav) से मुलाकात कर उन्हें सूबे की जीत के लिए बधाई देकर अपनी दोस्ती को मजबूत बनाए रखने का दांव चला है। कांग्रेस भी इस बात को समझ रही है कि यूपी में अकेले उसकी सियासी नैया पार नहीं होने वाली है। ऐसे में सपा संग दोस्ती बनाकर ही चुनावी मैदान में उतरना होगा तो अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) भी कांग्रेस की सियासी ताकत से वाकिफ हो चुके हैं। ऐसे में देखना है कि सपा-कांग्रेस (SP-Congress) मिलकर 2027 में चुनावी मैदान में उतरते हैं तो क्या सियासी गुल खिलाते हैं?

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