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कर्नाटक में सिद्धारमैया या ​डीके शिवकुमार सीएम पद पर होगी ताजपोशी? 1 दिसंबर से पहले बड़ा फैसला ले सकती है कांग्रेस

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। कर्नाटक की राजनीति में चल रही उठापटक पर कांग्रेस आलाकमान जल्द ही विराम लगा सकता है। खबर है कि कांग्रेस हाईकमान 1 दिसंबर से पहले वहां के नेतृत्व को लेकर कोई बड़ा और कड़ा फैसला ले सकता है। संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने वाला है और पार्टी उससे पहले ही स्थिति पूरी तरह साफ कर देना चाहती है।

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सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के बीच आज या कल एक बेहद अहम बैठक होने वाली है। इसके तुरंत बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को 28 या 29 नवंबर को दिल्ली बुलाया जा सकता है। पार्टी नेतृत्व पिछले कुछ हफ्तों से चल रही अंदरूनी खींचतान को अब और लंबा नहीं खींचना चाहता।

उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने सोनिया गांधी से मिलने का वक्त मांगा है और वे 29 नवंबर को दिल्ली आ सकते हैं। शिवकुमार पिछले एक हफ्ते से राहुल गांधी से संपर्क करने की कोशिश कर रहे थे। राहुल गांधी ने उन्हें व्हाट्सएप पर ‘कृपया प्रतीक्षा करें, मैं आपको कॉल करूंगा’ का जवाब दिया। डीके शिवकुमार और पीडब्ल्यूडी मंत्री सतीश जरकीहोली के बीच मंगलवार देर रात एक अज्ञात स्थान पर गुप्त बैठक हुई। दोनों नेताओं ने इस मुलाकात के लिए अपने सभी निर्धारित कार्यक्रम रद्द कर दिए थे। मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले जरकीहोली, शिवकुमार के साथ मतभेदों को सुलझाने की कोशिश कर रहे थे।

कांग्रेस हाईकमान पर दबाव…

डीके शिवकुमार के समर्थक विधायकों ने दिल्ली जाकर कांग्रेस आलाकमान पर मुख्यमंत्री पद रोटेशन के लिए 2023 के ‘सत्ता-साझाकरण’ वादे को लागू करने का आग्रह किया है। इस बैकग्राउंड में ही शिवकुमार और जरकीहोली के बीच बैठक हुई, जिसका मुख्य केंद्र दोनों के बीच मतभेदों को सुलझाना था। शिवकुमार खेमे के सूत्रों ने बताया कि दोनों के बीच बातचीत आधी रात के बाद तक चली।

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दोनों नेताओं ने 2023 के चुनावों के दौरान KPCC अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में एक साथ काम किया था। समझा जाता है कि उन्होंने 2028, 2029 के लिए पार्टी के रोडमैप और सिद्धारमैया युग के बाद की स्थिति पर व्यापक बातचीत की, क्योंकि मुख्यमंत्री अपने चुनावी सफर के अंत के करीब माने जा रहे हैं। चर्चा का मुख्य फोकस OBC समर्थन को मजबूत करने और जरकीहोली को एक प्रमुख पिछड़ा वर्ग के नेता के रूप में स्थापित करने पर था।

 2.5 साल बाद सत्ता सौंपने का एक समझौता हुआ था, लेकिन इस वादे का पालन नहीं किया गया

सूत्रों का कहना है कि डीके शिवकुमार ने सतीश जरकीहोली को बताया कि उनके और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बीच 5-6 सीनियर नेताओं की मौजूदगी में 2.5 साल बाद सत्ता सौंपने का एक समझौता हुआ था, लेकिन इस वादे का पालन नहीं किया गया। सूत्रों का कहना है कि सतीश का पहला खास अधिकार इस संकट के दौरान मुख्यमंत्री के साथ मजबूती से खड़ा रहना है। उनकी दूसरी स्थिति यह है कि अगर हाई कमांड सिद्धारमैया को पद छोड़ने का निर्देश देता है, तो वह निर्देश का पालन करेंगे।

सूत्रों के मुताबिक, सिद्धारमैया राहुल गांधी की बात सुनने को तैयार हैं, जिन्होंने उन्हें दो बार मुख्यमंत्री पद पर बिठाया। अगर राहुल बदलाव का निर्देश देते हैं, तो सिद्धारमैया उसका पालन करेंगे। पता चला है कि सतीश ने डीके शिवकुमार से कहा कि अगर हाई कमान शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच समझौते के बारे में साफ घोषणा करता है, तो सारा कन्फ्यूजन और चल रहा संकट हल हो सकता है।

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