लखनऊ। यूपी की 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) से यूपी सरकार (UP Government) को शुक्रवार को बड़ा झटका लगा है। इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए इस भर्ती की पूरी मेरिट लिस्ट को ही रद्द कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने तीन महीने के अंदर नई मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश जारी किया है।
पढ़ें :- अखिलेश यादव ने केशव प्रसाद मौर्य पर बोला बड़ा हमला, कहा-'सीएम योगी के लिए खोदी जा रही सुरंग...'
यूपी की 69000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले (UP 69000 Assistant Teacher Recruitment Case) पर आज लखनऊ हाई कोर्ट (Lucknow High Court) की डबल बेंच ने बड़ा फैसला सुनाते हुए पूरी चयन सूची को ही रद्द कर दिया। जस्टिस ए.आर. मसूदी और जस्टिस बृजराज सिंह की बेंच ने पूरी चयन सूची को रद्द करते हुए डबल बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश को निरस्त कर दिया। सिंगल बेंच ने 8 मार्च 2023 को फैसला दिया था कि 69000 शिक्षक भर्ती 2020 की लिस्ट को रद्द किया जाता है।
आरक्षण नियमावली और बेसिक शिक्षा नियमावली का पालन करने का आदेश
सिंगल बेंच ने ATRE (अपेक्स टैलेंट रिवॉर्ड एग्जाम ) को पात्रता परीक्षा नहीं माना था। डबल बेंच ने इस आदेश को रद्द करते हुए आरक्षण नियमावली 1994 की धारा 3 (6) और बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का सरकार पालन करें। कोर्ट ने 3 महीने के अंदर नई लिस्ट रिजर्वेशन का पालन करते हुए सरकार से देने को कहा है। वहीं ATRE परीक्षा को पात्रता परीक्षा माना है। बता दें, सामान्य सीट पर अगर आरक्षित वर्ग का मेरीटोरियस कैंडिडेट सामान्य वर्ग के बराबर अंक पाता है, तो उसको सामान्य वर्ग में रखा जाएगा। बाकी की 27% और 21 % सीटों को OBC/SC से भरा जाएगा।
शिक्षक भर्ती सीटों में घोटाला
पढ़ें :- यूपी के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक का बड़ा एक्शन, ड्यूटी से गैरहाजिर आठ डाक्टरों को किया बर्खास्त
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सीएम योगी (CM Yogi) ने कहा था कि 69000 शिक्षक भर्ती में ओबीसी (OBC) की और एससी की सीटों के साथ कोई घोटाला नहीं किया गया है, लेकिन उसके कुछ दिन बाद ही हाई कोर्ट ने कहा कि बड़े स्तर मपर 69000 शिक्षक भर्ती में सीटों का घोटाला हुआ है। अभ्यर्थियों ने पूरी भर्ती पर सवाल उठाते हुए 19 हजार पदों पर आरक्षण घोटाला का आरोप लगाया था।