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New Tariff Electricity Bill : TOD टैरिफ व्यवस्था तुगलकी फैसला, उपभोक्ता परिषद ने खोला मोर्चा, सुप्रीम कोर्ट में याचिका की तैयारी

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) की ओर से दिन और रात के लिए अलग-अलग बिजली दर (New Tariff Electricity Bill) लागू करने के फैसले का अब भारी विरोध शुरू हो गया है। उपभोक्ता परिषद ने इसे तुगलकी फरमान बताते हुए मोर्चा खोल दिया है। देश के अन्य उपभोक्ता संगठनों को एकजुट कर नियामक आयोग (Regulatory Commission)से लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक याचिका दायर करने की तैयारी है।

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केंद्र ने विद्युत उपभोक्ता अधिकार नियम 2020 (Electricity Consumer Rights Rules 2020) में संशोधन के माध्यम से बिजली टैरिफ प्रणाली में दो बदलाव पेश किए हैं। इसमें दिन और रात की बिजली दर में अंतर रहेगा। यह कानून एक अप्रैल 2025 से लागू करने की तैयारी है। इससे दिन में 10 से 20 प्रतिशत सस्ती और रात में 10 से 20 प्रतिशत महंगी बिजली दी जाएगी।

 

यूपी में विद्युत नियामक आयोग (UP Electricity Regulatory Commission) ने घरेलू और उद्योगों के लिए अलग टैरिफ लागू कर रखा है। उपभोक्ता संगठनों की नेशनल को-ऑर्डिनेशन कमेटी के अध्यक्ष (President of the National Co-ordination Committee of Consumer Organizations) व राज्य उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा (State Consumer Council President Awadhesh Kumar Verma) ने कहा कि घरेलू उपभोक्ता अपने कुल उपभोग का 30 प्रतिशत दिन में 70 प्रतिशत रात में उपभोग करते हैं। इस कानून के जरिये दो रुपया का फायदा दिखाकर पांच रुपये वसूलने की तैयारी है।

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उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर केंद्रीय ऊर्जा सचिव आलोक कुमार (Union Energy Secretary Alok Kumar) से बात की गई है। उनका कहना था कि यह नेशनल पॉलिसी (National Policy) है। वर्मा ने कहा कि ऊर्जा सचिव को बता दिया गया है कि उपभोक्ताओं का अहित करने वाली किसी भी पॉलिसी को लागू नहीं होने दिया जाएगा।

एकजुट होने लगे उपभोक्ता संगठन

केंद्र सरकार के संशोधित कानून की जानकारी मिलते ही उपभोक्ता संगठन एकजुट होने लगे हैं। शनिवार को नेशनल को-ऑर्डिनेशन कमेटी के अध्यक्ष अवधेश वर्मा (National Co-ordination Committee President Awadhesh Verma) ने विभिन्न राज्यों के संगठनों के साथ वर्चुअल बैठक की। इसमें तय हुआ कि सभी देश के सभी उपभोक्ता परिषद अपने-अपने राज्य के नियामक आयोग (Regulatory Commission) में याचिका दायर करेंगे। जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में भी याचिका दायर की जाएगी।

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