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PMLA के तहत आरोपी को अरेस्ट नहीं कर सकती ED : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि विशेष अदालत के जरिए शिकायत पर संज्ञान लेने के बाद ईडी (ED) पीएमएलए (PMLA) के प्रावधानों के तहत आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा  कि यदि मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (Money Laundering Act) के तहत दायर केस  विशेष अदालत के जरिए शिकायत पर संज्ञान लेने के बाद ईडी (ED) पीएमएलए (PMLA) के प्रावधानों के तहत आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को यह अहम व्यवस्था दी। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि यदि किसी पर मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering ) के आरोप लगे हों और वह शख्स अदालत में पेश हुआ हो तो फिर केस चलने के दौरान उसे अरेस्ट नहीं किया जा सकता। इस तरह सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने मनी लॉन्ड्रिंग केस (Money Laundering Case)  में गिरफ्तारी को लेकर एक नियमावली तय कर दी। इसे आगे के केसों के लिए नजीर माना जा सकता है। अदालत ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि पीएमएलए (PMLA) के तहत सेक्शन 45 के तहत सख्त दोहरे टेस्ट में खुद को सही साबित किया जाए।

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मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (Money Laundering Act)  के सेक्शन 45 का कहना है कि इस ऐक्ट के तहत सरकारी वकील को अधिकार है कि वह आरोपी की बेल अर्जी का विरोध कर सके। इसके लिए उसे एक मौका मिलता है। इसके अलावा आरोपी को ही अदालत में यह साबित करना होता है कि यदि उसे बेल मिली तो वह कोई दूसरा ऐसा अपराध नहीं करेगा। इसके अलावा कोर्ट में खुद को बेगुनाह साबित करने की जिम्मेदारी भी आरोपी की होगी। इन शर्तों के चलते ही मनी लॉन्ड्रिंग केस (Money Laundering Case) में जेल गए लोगों के लिए बेल पर बाहर निकलना मुश्किल होता है। यही वजह है कि तमाम नेताओं और अन्य लोगों को ऐसे मामलों में जेल से बाहर निकलने में वक्त लगता है।

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