Rudraksha Miracle : गले में रुद्राक्ष की माला , मंत्र जपने के लिए हाथ में रुद्राक्ष की माला , दैनिक पूजन से लेकर बड़े अनुष्ठान यज्ञ में रुद्राक्ष की माला का प्रयोग किया जाता है। रुद्राक्ष की महिमा के कारण इसे धार्मिक कार्यो में बहुतायत प्रयोग किया जाता है। जगत और जीव के बीच की रुद्राक्ष की माला एक कड़ी है। । ऋषियों ने रुद्राक्ष के गुणों को पहचान कर उनकी विशेषताओं के बारे जगत को बताया। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष को शिव का प्रिय माना जाता है। शिव की पूजा में रुद्राक्ष की माला का विशेष महत्व है।
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सनातन धर्म में धर्म रुद्राक्ष को चमत्कारी बताया गया है। पौराणिक मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। ऐसे में महादेव के कृपा बनाए रखने और जीवन में कष्टों के लिए नाश के लिए व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है। शास्त्रों में रुद्राक्ष धारण करने और धारण करने के बाद कई नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है। मान्यता है कि जैसे भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए सोमवार के दिन व्रत, पूजा, रुद्राभिषेक किया जाता है, उसी प्रकार रुद्राक्ष धारण किया जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है, उसके जीवन में अकाल मृत्यु का डर नहीं रहता। लेकिन रुद्राक्ष धारण करने के लिए कुछ नियमों का पालन बेहद जरूरी है। मान्यता है कि रुद्राक्ष धारण करते समय की गई जरा सी लापरवाही महादेव को नाराज कर सकती है। साथ ही, व्यक्ति को भगवान शिव के भयंकर क्रोध का सामना करना पड़ता है। जानें रुद्राक्ष धारण करने के जरूरी नियम।
रुद्राक्ष धारण के नियम
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सप्ताह में सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सोमवार का दिन बेहद शुभ माना जाता है। ऐसे में रुद्राक्ष धारण करने के लिए भ सोमवार का दिन ही उत्तम है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर आप रुद्राक्ष की माला धारण करने की सोच रहे हैं,तो पहले ये देख लें कि उस माला में कम से कम 27 मनके जरूर होने चाहिए।