उज्जैन। उज्जैन जिला मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अशोक कुमार पटेल ने बताया कि, प्रतिवर्ष 24 मार्च को विश्व क्षय (टीबी रोग) दिवस मनाया जाता है। रॉबर्ट कोच (Robert Koch) ने सबसे पहले जान लेवा बीमारी टीबी के बैक्टीरिया का पता लगाया था। 139 साल पहले 1882 में आज ही के दिन टीबी की बीमारी के लिये जिम्मेदार बैक्टीरिया माईकोबेकटेरियम की खोज (Discovery of bacteria Mycobacterium) की एवं रॉबर्ट कोच को 1905 में इसके लिये नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके पहले टीबी को असाध्य बीमारी के रूप में जाना जाता था। रॉबर्ट कोच के सम्मान में टीबी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये प्रतिवर्ष 24 मार्च को विश्व क्षय दिवस (World Tuberculosis Day) मनाया जाता है।
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दुनिया के 27 प्रतिशत टीबी के मरीज भारत में पाये जाते हैं और दो तिहाई टीबी केसेस सिर्फ आठ देशों (भारत, इण्डोनेशिया, चाईना, फिलिपिंस, पाकिस्तान, नाईजिरिया, दक्षिण अफ्रीका, बांग्लादेश) में पाये जाते हैं। सबसे राहत की बात यह है कि टीबी का इलाज पूर्णतः निःशुल्क एवं उपचार योग्य बीमारी है। आमतौर पर पन्द्रह दिन की खांसी, पन्द्रह दिन का बुखार, बलगम में खून आना, छाती में दर्द, वजन कम होना आदि संभावित टीबी के लक्षण होते हैं। सामान्यतः टीबी फेफडों में पाई जाती है परंतु बाल और नाखुन के अलावा शरीर के किसी भी हिस्से अथवा अंग में टीबी की बीमारी हो सकती है। समय पर सही इलाज नहीं लेने पर यह जानलेवा रोग हो सकता है। एक अनुउपचारित क्षय रोगी एक वर्ष में पन्द्रह स्वस्थ्य लोगों को टीबी से ग्रसित कर सकता है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी व मुख्यमंत्री डॉ. यादव की मंशानुरूप 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाए जाने के उददेश्य को दृष्टिगत रखते हुए राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम अंतर्गत भारत सरकार द्वारा देश के 347 हाई प्रियारटी जिलो में से उज्जैन जिले में भी दिनांक 07 दिसम्बर-2024 से 24 मार्च-2025 तक 100 दिवसीय निक्षय शिविर अभियान चलाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत जिले की उच्च जोखिम वाली जनसंख्या को चिन्हित कर समस्त की जांच एवं उपचार कार्य मिशन मोड में किया जा रहा है। साथ ही दूरस्थ क्षेत्र में हैंड हेण्डल एक्सरे निक्षय वाहन के माध्यम से उच्च जोखिम वाली जनसंख्या के बेस्ट एक्सरे करवाये जा रहा है। समय पर चिन्हित कर उन्हें उपचार दिया जा रहा है।
भोपाल : मध्यप्रदेश से अक्षय की रिपोर्ट