कांग्रेस पार्टी के महासचिव (संचार) व संसद सदस्य जयराम रमेश ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं। प्रधानमंत्री और भी ज़्यादा झूठ बोल रहे हैं। इस बार उन्होंने छत्तीसगढ़ के लोगों को गुमराह करने की कोशिश की है। बस्तर में उन्होंने कहा कि 'नगरनार स्टील प्लांट' बस्तर के लोगों की संपत्ति है और उनके पास ही रहेगा। जबकि सच्चाई ठीक इसके विपरीत है।
नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के महासचिव (संचार) व संसद सदस्य जयराम रमेश ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं। प्रधानमंत्री और भी ज़्यादा झूठ बोल रहे हैं। इस बार उन्होंने छत्तीसगढ़ के लोगों को गुमराह करने की कोशिश की है। बस्तर में उन्होंने कहा कि ‘नगरनार स्टील प्लांट’ बस्तर के लोगों की संपत्ति है और उनके पास ही रहेगा। जबकि सच्चाई ठीक इसके विपरीत है।
चुनाव पास आते ही PM मोदी ज्यादा झूठ बोलने लगे हैं। इस बार उन्होंने छत्तीसगढ़ की जनता को गुमराह करने की कोशिश की है।
एक तरफ वे चुनावी रैली में नगरनार स्टील प्लांट को 'बस्तर के लोगों की संपत्ति' बताते हैं और दूसरी तरफ उसे निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर चुके हैं।
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— Congress (@INCIndia) October 5, 2023
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जयराम रमेश ने कहा कि वर्ष 2020 के अक्टूबर महीने में केंद्र सरकार ने नगरनार स्टील प्लांट में 50.79 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का निर्णय लिया था। यह निर्णय किसी और का नहीं था। 14 अक्टूबर 2020 की PIB की प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़ यह प्रधानमंत्री की ही अध्यक्षता में मंत्रिमंडल के आर्थिक मामलों की समिति द्वारा लिया गया निर्णय था।
इस निर्णय के क्रियान्वयन का कार्य भारत सरकार के वित्त विभाग के अंतर्गत आने वाले निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) को सौंपा गया है। DIPAM ने इसके लिए 2 दिसंबर 2022 को बोली आमंत्रित की। न्यूज़ रिपोर्ट्स के अनुसार नगरनार स्टील प्लांट को ख़रीदने के लिए पांच निजी कंपनियों ने प्रस्ताव दिए थे। उसमें से एक अडानी ग्रुप भी था। हाल ही में NMDC के चेयरमैन अमिताभ मुखर्जी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जल्द ही विनिवेश की प्रक्रिया तेज़ होगी। उनकी बातों से साफ़ है कि विधानसभा चुनाव ख़त्म होते ही उन कंपनियों से फिनान्शियल बिड आमंत्रित किए जाएंगे, जिन्हें DIPAM ने शॉर्टलिस्ट किया है।
दूसरी तरफ़ कांग्रेस पार्टी हमेशा से नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण का विरोध करती रही है। जब राज्य में हम विपक्ष में थे तब, कांग्रेस पार्टी ने इस प्लांट के निजीकरण का विरोध करने और प्रभावितों की समस्याओं को लेकर 17 किलोमीटर लंबी पदयात्रा निकाली थी । उस पदयात्रा में स्थानीय किसान, मज़दूर और कई संगठन एवं स्टील श्रमिक यूनियन आदि शामिल हुए थे। उस समय ही पूरे छत्तीसगढ़ में यह बात फैल गई थी कि केंद्र सरकार इस प्लांट को अडानी को सौंपना चाहती है। तब की भाजपा सरकार पर दबाव इतना बढ़ गया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह को इस प्लांट के निजीकरण का नुक़सान बताते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखना पड़ा था।
राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भी हमारा स्टैंड बिलकुल साफ़ है। हमारे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कई बार कह चुके हैं कि यदि केंद्र सरकार नगरनार स्टील प्लांट को नहीं चला सकती तो राज्य सरकार को सौंप दे। राज्य सरकार उसे चलाएगी। प्लांट की स्थापना पर अब तक 20 हज़ार करोड़ रुपए ख़र्च हो चुके हैं। इतना पैसा लगाने के बाद उसे निजी हाथों में सौंपना ठीक नहीं होगा। इसे लेकर विधानसभा में शासकीय संकल्प भी पारित हो चुका है। 21 फ़रवरी 2021 को नीति आयोग की बैठक में भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री के समक्ष यह मांग रखी थी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
प्रधानमंत्री की कथनी और करनी में कितना अंतर होता है, वह एक बार फिर सामने है। एक तरफ़ उन्होंने नगरनार स्टील प्लांट को अपने पूंजीपति मित्रों के हाथों में सौंपने की पूरी तैयारी कर कर ली है। दूसरी तरफ़ कह रहे हैं कि यह बस्तर के लोगों की संपत्ति है।
कांग्रेस पार्टी ने पूछे तीन सवाल
1. प्रधानमंत्री इस प्लांट को अपने पूंजीपति मित्रों को बेचने की बजाए इसे राज्य सरकार को चलाने की इजाज़त क्यों नहीं देना चाहते?
2. जब नगरनार स्टील प्लांट को निजी हाथों में सौंपने की पूरी तैयारी हो चुकी है तो यह यह बस्तर के लोगों की संपत्ति कैसे रहेगी?
3. प्रधानमंत्री इस तरह बेशर्मी से झूठ बोलना कब बंद करेंगे?