निरंजनी अखाड़े के महंत और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhil Bhartiya Akhara Parishad) के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की मौत के मामले में अब एक और बड़ा खुलासा हुआ है। उनके कमरे से बरामद सुसाइड लैटर के सामने आने के साथ ही बाघंबरी गद्दी के उत्तराधिकारी का भी नाम सामने आ गया है।
प्रयागराज। निरंजनी अखाड़े के महंत और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhil Bhartiya Akhara Parishad) के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि( Narendra Giri) की मौत के मामले में अब एक और बड़ा खुलासा हुआ है। उनके कमरे से बरामद सुसाइड लैटर के सामने आने के साथ ही बाघंबरी गद्दी के उत्तराधिकारी का भी नाम सामने आ गया है।
गिरि ने स्पष्ट शब्दों में अपने उत्तराधिकारी के तौर पर बलवीर गिरि (Balveer Giri) का नाम लिखा है। इसी के साथ उन्होंने ये भी साफ किया है कि उनकी मौत के जिम्मेदार सीधे तौर पर आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संतोष तिवारी हैं। जो उन्हें मानसिक तौर पर परेशान कर रहे थे। उन्होंने इन तीनों आरोपियों के नाम के साथ लिखा है कि मैं पुलिस अधिकारियों व प्रशासनिक अधिकारियों से प्रार्थना करता हूं कि इन तीनों के साथ कानूनी कार्रवाई की जाए जिससे मेरी आत्मा को शांति मिल सके।
महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद उनका 8 पेज का सुसाइड नोट में उन्होंने कई अहम बातों का उल्लेख किया है। सुसाइड नोट में महंत नरेंद्र गिरि ने लिखा है कि मैं महंत नरेंद्र गिरि आज आनंद गिरि के कारण बहुत विचलित हो गया। आज हरिद्वार से सूचना मिली कि एक दो दिन में आनंदगिरी मोबाइल के माध्यम से किसी छोटी महिला या लड़की के साथ गलत काम करते हुए फोटो वायरल कर देगा। मैं महंत नरेंद्र गिरि बदनामी के डर से कहां-कहां सफाई देता रहूंगा। मैं जिस सम्मान से जी रहा हूं, तो बदनामी में कैसे जी पाऊंगा?
इसलिए आत्महत्या कर रहा हूं। बता दें कि 8 पेज के इस सुसाइड नोट के पेज 2 पर लिखा है कि मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं। महंत नरेंद्र गिरि ने लिखा है कि एक पेज पर महंत ने लिखा कि मैं नरेंद्र गिरी, वैसे तो, 13 सितंबर 2021 को आत्महत्या करने जा रहा था लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया। मंहत नरेंद्र गिरी ने अपने सुसाइड नोट के हर पन्ने पर नीचे अपना नाम, तारीख लिखते हुए हस्ताक्षर किए हैं। साथ ही हर पेज पर ऊं नमोः नारायण भी लिखा है।
सुसाइड के हर पन्ने पर महंत नरेंद्र गिरि ने अपनी परेशानी को खुलकर लिखने की कोशिश की है। मंहत ने पेज 2 पर लिखा कि प्रिय बलवीर मठ मंदिर की व्यवस्था का प्रयास वैसे ही करना, जैसे मैंने किया है। आशुतोष गिरी, नितेश गिरि एवं मंदिर के सभी महात्मा बलवीर का सहयोग करना।