पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव समाप्त हुए करीब एक महीना गुजर गया है, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी से ममता बनर्जी के बीच खटास कम होने नाम नहीं ले रही है। शुक्रवार को यास चक्रवात से हुए नुकसान को लेकर पीएम मोदी के साथ समीक्षा बैठक में ममता बनर्जी 30 मिनट की देरी से पहुंचीं।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव समाप्त हुए करीब एक महीना गुजर गया है, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी से ममता बनर्जी के बीच खटास कम होने नाम नहीं ले रही है। शुक्रवार को यास चक्रवात से हुए नुकसान को लेकर पीएम मोदी के साथ समीक्षा बैठक में ममता बनर्जी 30 मिनट की देरी से पहुंचीं। यही नहीं राज्य के मुख्य सचिव भी देरी से पहुंचे। हालांकि सूत्रों का कहना है कि ममता बनर्जी और उनके चीफ सेक्रटरी समीक्षा बैठक में 30 मिनट देर से पहुंचे जबकि वे उसी परिसर में थे। इस बैठक में भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी को भी आमंत्रण दिया गया तो बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भड़क गईं।
यही नहीं मीटिंग में पहुंचकर ममता बनर्जी ने साइक्लोन से राज्य में हुए नुकसान से जुड़े कुछ दस्तावेज दिए और चली गईं। सूत्रों के मुताबिक ममता बनर्जी का कहना था कि उन्हें कुछ मीटिंग्स में जाना है। ममता बनर्जी के इस रुख से केंद्र की सत्ताधारी पार्टी और टीएसमी के बीच एक बार फिर से टकराव बढ़ सकता है। इस मीटिंग के दौरान राज्य के गवर्नर जगदीप धनखड़ पूरे समय मौजूद रहे।
ममता बोलीं- मुझे पीएम मोदी की मीटिंग का नहीं था पता
मीटिंग के बाद सीएम ममता बनर्जी ने बताया कि राज्य के मुख्य सचिव ने पीएम नरेंद्र मोदी को यास चक्रवात से सूबे में हुए नुकसान के संबंध में रिपोर्ट सौंपी है। पीएम नरेंद्र मोदी की मीटिंग में देरी से पहुंचने और तुरंत निकलने पर बाद में ममता बनर्जी ने सफाई देते हुए कहा कि उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं थी।
ममता बनर्जी ने कहा- मेरी और एक मीटिंग थी, परमिशन लेकर छोड़ी बैठक
सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि मैं नहीं जानती थी कि पीएम मोदी ने मीटिंग बुलाई है। मेरी दीघा में एक और मीटिंग थी। मैं कलाईकुंडा गई थी और पीएम नरेंद्र मोदी को रिपोर्ट सौंपकर 20,000 करोड़ रुपये की मदद की मांग की है। 10,000 करोड़ की मांग दीघा और 10,000 करोड़ सुंदरबन के विकास के लिए मांगे हैं। मैंने उनसे कहा कि राज्य के अधिकारी मुझसे मिलना चाहते हैं। इसके बाद मैंने उनसे परमिशन ली और निकल गई।
इधर, राज्य के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि पीएम मोदी की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री और अधिकारियों का शामिल होना राज्य के लोगों के हितों में नहीं है। टकराव का रूख राज्य या लोकतंत्र के हित में नहीं है। सीएम और अधिकारियों द्वारा गैर-भागीदारी संवैधानिकता या कानून के शासन के अनुरूप नहीं है।