सोशल मीडिया (Social Media) परिवार तोड़ रहा है। पति-पत्नी में छोटे-छोटे मामलों को लेकर विवाद हो रहे हैं। फैमिली कोर्ट में हर महीने तलाक के करीब 100 मामले पहुंच रहे हैं। जून माह में पांच दंपतियों का तलाक अहम व वहम वजह बनी। वजह थी मोबाइल पासवर्ड (Mobile Password)शेयर न करना।
भोपाल। सोशल मीडिया (Social Media) परिवार तोड़ रहा है। पति-पत्नी में छोटे-छोटे मामलों को लेकर विवाद हो रहे हैं। फैमिली कोर्ट में हर महीने तलाक के करीब 100 मामले पहुंच रहे हैं। जून माह में पांच दंपतियों का तलाक अहम व वहम वजह बनी। वजह थी मोबाइल पासवर्ड (Mobile Password)शेयर न करना। पत्नी के संबंध किसी और से हैं। इसके लिए सोशल मीडिया अकाउंट हैक (Social Media Account Hack)करवाने से लेकर जासूसी तक हुई। कोर्ट में लंबी कॉल रिकॉर्ड की लिस्ट पेश हुई। नतीजतन निजता खुलकर सामने आ गयी।
भोपाल जिला न्यायालय में परिवार से संबंधित मुद्दों की चार कोर्ट में से हर एक में रोज करीब 80 से 100 मामले आते हैं। इनमें से 25 फीसदी में समझौते होते हैं। 25 फीसदी में तलाक। 50 फीसदी में सुनवाई जारी रहती है। हर रोज कुल करीब 350 से 400 परिवारिक विवाद के मामले आते हैं। अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश अरविंद रघुवंशी ने बताया-करीब 10 फीसदी मामले सोशल मीडिया और मोबाइल फोन से संबंधित रहते हैं। जिसमें एक-दूसरे की जासूसी तक करवाते हैं।
विवाद की प्रमुख वजह
पत्नी घंटों मोबाइल पर।
सोशल मीडिया के दोस्त नापसंद।
वाट्सऐप, फेसबुक की लत।
एक-दूसरे पर बातों पर शक करना।
आदतों को न समझना।
दोनों नौकरी में तो शक बनता है कारण।
काउंसलिंग से भी नहीं सुलझ रहे मामले
पति-पत्नी दोनों अच्छी नौकरी में थे। लेकिन दोनों को आपस में कोई तालमेल नहीं था। दोनों को ज्यादातर समय सोशल मीडिया पर बीत रहा था। पत्नी ने अपने दोस्तों के साथ फोटो अपलोड की विवाद बढ़ गया। चार काउंसलिंग के बाद दोनों में तलाक हो गया।
अरेरा कॉलोनी की एक युवती ने शादी के 8 महीने बाद ही पति पर मानसिक प्रताडऩा का आरोप लगाया। पति फेसबुक और मोबाइल का पासवर्ड शेयर करने को कहता है। अकाउंट से फ्रेंड लिस्ट रिमूव कर देता। दोनों को समझाने का प्रयास हुआ। अंतत: तलाक ही हो गया।
जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट -रितु पटवा, कांउसलर, फैमिली कोर्ट
आज की जेनरेशन छोटी-छोटी बातों पर झगड़ती है। यही परिवार टूटने के कारण हैं। मोबाइल फोन हर मामले में एक समस्या बन गया है। ईगो के कारण कोई पहल नहीं करना चाहता। परिवार के सदस्य भी अपने बच्चों की तरफदारी करते हैं। काउंसलिंग में पता चलता है युवाओं को समझाने की पहल नहीं की जा रही है। तलाक अब एक ट्रेंड बन गया है।