भगवान शिव की पूजा-आराधना और उनके प्रति श्रद्धा-भाव सनातन धर्मावलंबियों के जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा है। भगवान शिव की पूजा के लिए भक्तगण निराहार रहकर शिव मंत्रों का जाप करते है। सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।
लखनऊ : भगवान शिव की पूजा-आराधना और उनके प्रति श्रद्धा-भाव सनातन धर्मावलंबियों के जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा है। भगवान शिव की पूजा के लिए भक्तगण निराहार रहकर शिव मंत्रों का जाप करते है। सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। हर वर्ष कुल 24 प्रदोष व्रत रखे जाते हैं इस तरह महीने में दो प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस जून महीने का पहला प्रदोष व्रत: त्रयोदशी तिथि 7 जून सोमवार सुबह (08:48) से आरंभ होकर 8 जून मंगलवार (11:24) बजे तक रहेगा।
हिंदू धर्म के अनुसार, हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है और इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत , प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करना कल्याणकारी माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने के साथ शिव चालीसा, शिव पुराण कथा, शिव मंत्रों का जाप करना भी सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
ऐसी मान्यता है कि जो भक्त इस दिन भगवान शिव की पूजा-आराधना श्रद्धा-भाव के साथ करता है उसके सभी बिगड़े काम बन जाते हैं तथा घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। मान्यता के अनुसार, जो भोलेनाथ की पूजा करता है उसके सभी रोग दूर हो जाते हैं।
सिर्फ फल का सेवन
प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा के बाद फलाहार कर सकते हैं। प्रदोष व्रत में नमक खाने की मनाही होती है। सिर्फ फल का सेवन करना चाहिए।