सीएम अशोक गहलोत ने इसे एतिहासिक कदम बताया है। उन्होंने कहा कि, सामाजिक न्याय हेतु नया अध्याय! वंचितों की विरोधी केंद्र सरकार लगातार जातिगत जनगणना से किनारा कर रही है, जिससे सामाजिक न्याय की अवधारणा अवरुद्ध हो रही है। इसलिए प्रदेश सरकार ने हर जरूरतमंद तक उनके हक का लाभ पहुंचाने के लिए अपने संसाधनों से जाति आधारित सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया है....
नई दिल्ली। राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ गयी है। भाजपा और सत्ताधारी कांग्रेस ने अपनी तैयारियां जोरों पर शुरू कर दी हैं। इस बीच गहलोत सरकार ने बड़ा दांव चला है। उन्होंने जाति आधरित सर्वे को लेकर छिड़ी बहस पर विराम लगाते हुए जातिगत सर्वेक्षण कराने का आदेश जारी कर दिया है। कहा जा रहा है कि गहलोत सरकार के इस कदम से कांग्रेस को बड़ा फायदा पहुंच सकता है।
शनिवार देर शाम को राजस्थान सरकार ने घोषणा करते हुए जातिगत सर्वेक्षण का आदेश जारी किया था। इसके बाद सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग की ओर से जारी आदेश में बताया गया है कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित सर्वेक्षण कराएगी। इसमें नागरिकों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्तर के संबंध में जानकारी व आंकड़े एकत्रित किए जाएंगे। आंकड़ों के आधार पर वर्गों के पिछड़ेपन की स्थिति में सुधार लाने के लिए विशेष कल्याणकारी उपाय और योजनाएं लागू की जाएंगी।
सीएम अशोक गहलोत ने बताया एतिहासिक कदम
बता दें कि, सीएम अशोक गहलोत ने इसे एतिहासिक कदम बताया है। उन्होंने कहा कि, सामाजिक न्याय हेतु नया अध्याय! वंचितों की विरोधी केंद्र सरकार लगातार जातिगत जनगणना से किनारा कर रही है, जिससे सामाजिक न्याय की अवधारणा अवरुद्ध हो रही है। इसलिए प्रदेश सरकार ने हर जरूरतमंद तक उनके हक का लाभ पहुंचाने के लिए अपने संसाधनों से जाति आधारित सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया है जिसके आंकड़ों के आधार पर विभिन्न वर्गों की आवश्यकता अनुरूप योजनाएं बनाई जा सकेंगी।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, रायपुर अधिवेशन में कांग्रेस पार्टी ने संकल्प पारित किया था कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दशकीय जनगणना के साथ-साथ एक सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना करने के लिए प्रतिबद्ध है। श्री राहुल गांधी की सामाजिक न्याय की सोच को लागू करने के लिए पिछड़े वर्गों की स्थिति का आंकलन बेहद आवश्यक है। यह ऐतिहासिक कदम सामाजिक न्याय में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।