वसंत को ऋतुराज कहा जाता है। ऋतुओं का राजा कहा जाता है। कई महीनों पहले छात्रों और कला की पूजा करने वालों को बसंत पंचमी का इंतजार रहता है।
Basant Panchami 2022 : वसंत को ऋतुराज कहा जाता है। ऋतुओं का राजा कहा जाता है। कई महीनों पहले छात्रों और कला की पूजा करने वालों को बसंत पंचमी का इंतजार रहता है। यह पुण्य दिन माघ के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आता है।वसंत पंचमी पर ज्ञान, वाणी और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा धूमधाम से पूरे देश की जाती है। आईये जानते हैं कि इस पर्व को कैसे मनाया जाता है।
पौराणिक मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि सरस्वती माता की पूजा इस दिन करने से वे जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं। जिन लोगों को ज्ञान, वाणी और कला में बेहतर प्रदर्शन करना है, उन्हें मां सरस्वती की पूजा जरूर करनी चाहिए।
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि
प्रारंभ 05 फरवरी यानी शनिवार को प्रातः: 03:47 बजे से रविवार को प्रातः: 03:46 बजे तक
पूजन का मुहूर्त सुबह 07:07 बजे से लेकर दोपहर 12:35 तक
सिद्ध योग शाम 05 बजकर 42 मिनट तक
मां को चढ़ाये पीले पुष्प
माँ सरस्वती को मौसम में आसानी से उपलब्ध होने वाले पीले फूलों को चढ़ाए जाने की महात्म है। यह त्योहार माँ सरस्वती को समर्पित होने के कारण, इस दिन पाठ्य सामग्री जैसे कलम और कॉपी की पूजा करनी चाहिए। इस दिन निम्नलिखित कार्यों को करना बेहद शुभ माना जाता है जैसे, मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा, घर की नींव रखना, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, व्यापार शुरू करना आदि।