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इस दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जएगा गुड़ी पड़वा, बनेंगे ये पकवान

चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व को हिंदू धर्म के नए वर्ष के आगाज के रूप में भी मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि चैत्र माह की प्रतिपदा को ही बह्मा जी ने सृष्टि का निर्णाण किया था।

By अनूप कुमार 
Updated Date

लखनऊ: चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व को हिंदू धर्म के नए वर्ष के आगाज के रूप में भी मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि चैत्र माह की प्रतिपदा को ही बह्मा जी ने सृष्टि का निर्णाण किया था। इस दिन से चैत्र नवरात्र की भी शुरुआत होती है जिसमें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को पूजा जाता है। यह पर्व देश के कई हिस्सों में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ख़ास कर के महाराष्ट्र में इस दिन को बेहद शुभ माना जाता है। गुड़ी पड़वा दो शब्दों से मिल कर बना है, गुड़ी और पड़वा। इसमें ‘गुड़ी’ का अर्थ है ‘पताका’ और ‘पड़वा’ का अर्थ होता है ‘प्रतिपदा’।

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लेकिन गुड़ी पड़वा पर्व को कर्नाटक के स्थानीय लोग युगाड़ी पर्व कहते हैं, जबकि कश्मीर में नवरेह के नाम से इस पर्व को जाना जाता है। महाराष्ट्र के अलावा यह पर्व गोवा और केरल जैसे राज्यों में भी मनाया जाता है।

गुड़ी पड़वा तिथि, दिन और शुभ मुहूर्त
तिथि: 13 अप्रैल 2021

दिन: मंगलवार

प्रतिपदा तिथि आरंभ: 12 अप्रैल, सोमवार की सुबह 08 बजे से
प्रतिपदा तिथि समाप्त: 13 अप्रैल, मंगलवार की सुबह 10 बजकर 16 मिनट तक

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इस दिन बनती है पूरन पोली

इस दिन महाराष्ट्र में लोग सुबह उठ कर तेल का उबटन लगाकर स्नान करते हैं। घरों में इस दिन ‘पूरन पोली’ बनाई जाती है। पूरन पोली एक प्रकार की मीठी रोटी होती है जिसे गुड़, नमक, इमली, नीम, कच्चा आम आदि डाल कर बनाया जाता है। कई घरों में इस दिन श्रीखंड भी बनाया जाता है। इस दिन बेहतर स्वास्थ्य के लिए गुड़ के साथ नीम के कोपलों को खाने की भी परंपरा है। लोग इस दिन घर के सामने या छत पर पताका लहराते हैं और आम के पत्तों को रस्सी में गूँथ कर घर के सामने लगाते हैं। इस दिन लोग अपने घर के आंगन में रंगोली भी बनाते हैं। इस दिन विशेषकर भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। इसके साथ साथ इस दिन भगवान श्री राम, माँ दुर्गा और हनुमान जी की भी पूजा होती है।

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